BlogHide Resteemselve (40)in india • 6 years agoयुवा शक्ति का आवाहन।युवा शक्ति का आवाहन। वर्तमान चल रहा आपका, इसका पूरा उपयोग करो। करके विधिवाद ना खेद करो, निज लक्ष्य निरन्तर भेद करो। अहंकार का त्याग करो, सुंदर समाज तैयार करो। अपनी शक्ति को पहचानो, जीवन…elve (40)in poetry • 6 years agoशान्ति की प्राप्ति।शान्ति की प्राप्ति। यदि अंतःस्थिति बदल ले तो, बाहर की दशा बदलती है। अंतः को शान्ति मिलती जब, बाहर भी शान्ति मिलती है। मन को शान्त बनाने से, परमात्म मिलन हो जाता है। अंतः की शान्ति…elve (40)in poetry • 6 years agoभारतीय संस्कृति।भारतीय संस्कृति। हमारी संस्कृति रही महान, विश्व गाता इसका यशगान। सत्य का ओढ़े यह परिधान, अहिंसा इसका मंत्र महान। छिपा इसमें जड़ चेतन ज्ञान, ईश सत्ता का छिपा विधान। इसी से मिलता सेवा…elve (40)in poetry • 6 years agoप्रेम । Love.प्रेम। प्रेम के मद में सरोबोर हो प्रेमी भक्त, भगवान की प्रेम से आराधना नित करते हैं। प्रेम ही है जीवन की अद्भुत वह सर शक्ति, जिसके बल हो प्रेमी भक्त भगवद प्रेम करते हैं। So dear friends…elve (40)in poetry • 6 years agoपरिश्रम एवं विश्राम।परिश्रम एवं विश्राम। हम परिश्रमी हों मगर, विश्राम भी करते रहें। करके कठिन श्रम शाम को, आराम भी करते रहें। यदि स्वयं को स्वस्थ अरु, तंदुरुसत् रखना चाहते। क्यों मूर्खता बस रात दिन, बस…elve (40)in poetry • 6 years agoआज का परिदृश्य। भाग २ (Part 2)आज का परिदृश्य। पारिवारिक विद्रोह बढ़े हैं, खान-दान बिगड़ा है। भाई-भाई का दुश्मन है, पारिवारिक झगड़ा है। अविश्वास, अन्याय, अनीति, अब चरित्र बिगड़ा है। जितना आगे बढ़कर देखो, पापाचार…elve (40)in esteem • 6 years agoआज का परिदृश्य। भाग १आज का परिदृश्य। आज देख लो इस दुनिया में, अत्याचार बढ़ा है। अब अनिति, अन्याय लूट का, पारावार चढ़ा है। मात-पिता अरु भाई बन्धु के, सारे रिश्ते रीते हैं। लूटपाट अन्याय मचा है, साधु संत सब…elve (40)in india • 6 years agoहमारा कर्तव्य। Our Duty.हमारा कर्तव्य। छोड़ दें अन्याय को हम, न्याय के पथ पर चलें। त्याग अरु बलिदान को हम, साथ लेकर चलें। ज्ञान के दीपक जलायें, छोड़ पथ अज्ञान का। नव सुगन्धित ज्योति से, पथ मोड़ दें विज्ञान…elve (40)in india • 6 years agoआराधना प्रेम की।आराधना प्रेम की। प्रभु तुम्हारे प्रेम की, छाया हमें मिलती रहेगी। प्रेम अरु सत्संग की, धारा नयी बहती रहेगी। So dear friends it’s really very tough task for me to type my poem in Hindi…elve (40)in india • 6 years agoअध्यात्म का महत्व।अध्यात्म का महत्व। अध्यात्म हमारे जीवन में, शांति स्थापित करता है। इसका महत्व सारे जग में, जीवन को सफल बनाता है। अतएव समय के रहते ही, अप्राकृतिकता का परित्याग करें। संयम से जीवन जी…elve (40)in poetry • 6 years agoएक दृष्टिकोण।एक दृष्टिकोण। लौकिक जीवन की ओर, हमारा आकर्षण है। परिवर्तन हम नहीं चाहते, बना हमारा दृष्टिकोण है। प्रतिदिन सूर्य उदय होता है, और अस्त हो जाता है। किंतु हमारा चिंतन क्या, कुछ अच्छा बन…elve (40)in poetry • 6 years agoमानव निर्माण का धर्म।मानव निर्माण का धर्म। वर्तमान स्वर्णिम हो अपना, हो भविष्य उज्ज्वल अपना। फ़ौलादी स्नायु होंवे, लौह मयी जीवन अपना। हो अदम्य उत्साह भरा मन, इच्छाशक्ति प्रचण्ड रहे। गुप्त रहस्यों के भेदन…elve (40)in india • 6 years agoवृक्षों की चेतना।वृक्षों की चेतना। वृक्षों में चेतना भरी है, यह ऋषि मुनियों का कहना है। वे सुख दुःख का अनुभव करते, मनुजी का भी यह कहना है। अन्वेषक वैज्ञानिक भी, निज अनुसंधानों से सिद्ध किया। चेतना की…elve (40)in poetry • 6 years agoकर्मवीर।कर्मवीर। इस जग में जीवन-संघर्ष बहुत, संघर्षों से क्या डरना है। संघर्षों का करें सामना, यदि हमको आगे बढ़ना है। Friends here I am adding a pic of my writing this lovely poem.elve (40)in poetry • 6 years agoभाग्य A beautiful poem on our Fate.भाग्य। जो कुछ भी है लिखा भाग्य में, वह कैसे टल सकता है। जो संचित कर्मों का फल है, वह कैसे मिट सकता है। कुछ कर्मों का फल हमको, जग में तुरंत मिल जाता है। लेकिन कुछ का फल लम्बित रहता है…elve (40)in poetry • 6 years agoएक दृष्टिकोण।एक दृष्टिकोण। image source लौकिक जीवन की ओर, हमारा आकर्षण है। परिवर्तन हम नहीं चाहते, बना हमारा दृष्टिकोण है। प्रतिदिन सूर्य उदय होता है, और अस्त हो जाता है। किंतु हमारा चिंतन…elve (40)in poetry • 6 years agoमोक्ष.मोक्ष। अल्पज्ञ जीवात्मा की शक्ति, अतिशय सीमित होती है। वह सुख दुःख के भँवरों में, प्रायः व्याकुल हो जाया करती है। इन भँवरो के भव-बंधन से, वह मुक्ति खोजता रहता है। जन्म मृत्यु के बंधन की…elve (40)in hindi • 6 years agoमानव जीवन।मानव जीवन। image source इस मानवतन को पाना, प्रायः दुर्लभ कहलाता है। लेकिन सतकर्मों को करके, वह फिर मानव बन जाता है। सच्चा मानव है वही यहाँ, जो सद्गुरू को अपनाता है। परमार्थ सदा…elve (40)in poetry • 6 years agoमानव जीवन।मानव जीवन। image source इस मानवतन को पाना, प्रायः दुर्लभ कहलाता है। लेकिन सतकर्मों को करके, वह फिर मानव बन जाता है। सच्चा मानव है वही यहाँ, जो सद्गुरू को अपनाता है। परमार्थ सदा…elve (40)in poetry • 6 years agoअपने को पहचानो।अपने को पहचानो। image source आप इस परमपिता की सर्वोत्तम रचना, जो सर्वशक्तिमान कहलाता है। हैं अंश उसी अंशी के सब, जो सबका भाग्य विधाता है। प्रभु ने हम सबको जग में, अपना प्रतिनिधि…