भारतीय सेना के वो हथियार जिनसे डरती है पूरी दुनिया ?

in asa •  6 years ago 

ये हथियार भारत के पास हैं। ये आधुनिक तकनीक से लैस हैं। इन हथियारों से भारतीय सेना का मनोबल भी ऊंचा रहता है और वो इसके जरिए दुश्मन को मुहंतोड़ जवाब दे सकते हैं। भारत, दुनिया में तेजी से आगे बढ़ती हुई सैन्य शक्ति है। क्षेत्रीय सीमाओं से आगे बढ़ते हुए देश अब ग्लोबल पावर बनने की ओर अग्रसर है, भारतीय सेनाओं के पास आधुनिक हथियार और मॉडर्न टेक्नोलॉजी है।

भारत की 7500 किमी लंबी तटरेखा है, जिसमें सैंकड़ों आइलैंड हैं, जिनकी हिफाजत की जरूरत है। इस जरूरत को पूरा करने के लिए ही पी 81 है। यह अपनी शानदार मजबूती और सेंसर सूट के लिए अपनी बराबरी के किसी भी एयरक्राफ्ट से आगे है। बेस से 2 हजार किलोमीटर तक के मिशन पर यह 4 घंटे तक उड़ान भर सकता है। फैक्ट ये भी है कि ये एक कमर्शल एयरलाइनर के तौर पर है जिसका रखरखाव बेहद आसान है। पी-81 पर लंबी दूरी का रडार भी है और इसपर पनडुब्बियों को खोज निकालने के लिए एक खास तरह का सेंसर लगा है। यह अपने साथ 120 सोनोबॉयज के साथ 6-8 Mk-54 टारपीडो और अपने पंखों पर 4 हार्पून मिसाइल भी ले जा सकता है।

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना द्वारा संयुक्त रूप से विकसित 2इस मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर में अनेक विशेषताएं हैं। 'पिनाका’ एक ऐसी हथियार प्रणाली है जिसका लक्ष्य मौजूदा तोपों के लिए 30 किलोमीटर के दायरे के बाहर पूरक व्यवस्था करना है। कम तीव्रता वाली युद्ध जैसी स्थिति के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया और तेजी से दागने की क्षमता सेना को बढ़त दिलाती है।

हेलिना 'नाग' का हेलीकॉप्टर से दागा जा सकने वाला संस्करण है और इसे रक्ष अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया है । नाग, मिसाइल की विशेषता है कि यह टॉपअटैक- फायर एंड फोरगेट और सभी मौसम में फायर करने की क्षमता से लैस है। हमला करने के लिए 42 किग्रा वजन की इस मिसाइल को हवा से जमीन पर मार करने के लिए हल्के वजन के हेलीकॉप्टर में भी लगाया जा सकता है। इन्फैन्ट्री कॉम्बेट व्हीकल बीएमपी-2 नमिका से भी इस मिसाइल का दागा जा सकेगा।

Su-30Mki एक ऐसा एयरक्राफ्ट है जो इंडियन एयरफोर्स को 21वीं सदी के हिसाब से परिभाषित कर सकता है। रूस में निर्मित सुखोई-30 जेट फाइटर को दुनिया में बेहतरीन एयरक्राफ्ट्स में गिना जाता है। इसकी लम्बाई 21.93 मीटर है। वहीं,चौड़ाई (विंग स्पान) 14.7 मीटर है। बगैर हथियार के इसका वजन 18 हजार चार सौ किलोग्राम है। हथियार के साथ इसका वजन 26 हजार किलोग्राम से अधिक हो सकता है। इसकी अधिकतम रफ्तार 2100 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह 3 हजार किलोमीटर तक की गहराई में जाकर हमला कर सकता है। दो शक्तिशाली इंजन वाला यह विमान किसी भी तरह के प्रतिकूल मौसम में उड़ान भरकर हवा से हवा सहित हवा से जमीन पर हमला करने में अपनी कुशलता को प्रमाणित कर चुका है।

परमाणु क्षमता युक्त रूस निर्मित पनडुब्बी आईएएनएस चक्र-2 नौसेना का बड़ा हथियार है। मूल रूप से 'के-152 नेरपा' नाम से निर्मित अकुला-2 श्रेणी की इसपनडुब्बी को रूस से एक अरब डॉलर के सौदे पर 10 साल के लिए लिया गया है। नौसेना में शामिल करने से पहले इसका नाम बदलकर आईएनएस चक्र-2 कर दिया गया। यह पनडुब्बी 600 मीटर तक पानी के अंदर रह सकती है। यह तीन महीने लगातार समुद्र के भीतर रह सकती है। नेरपा पनडुब्बी की अधिकतम गति 30 समुद्री मील है और ये आठ टॉरपीडो से लैस है।

44,500 टन वजनी इस विमान वाहक पोत को 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। 44,500 टन क्षमता वाले इस युद्धपोत की लंबाई 283.1 मीटर और ऊंचाई 60.0 मीटर है। इसपर डेकों की संख्या 22 है। कुल मिलाकर इसका क्षेत्र तीन फुटबाल मैदान के बराबर है। इस पोत में कुल 22 तल हैं और 1,600 लोगों को ले जाने की क्षमता है। यह 32 नॉट (59 किमी/घंटा) की रफ्तार से गश्त करता है और 100 दिन तक लगातार समुद्र में रह सकता है। यह 24 मिग -29K/KUB ले जाने में सक्षम है। इस पोत का नाम ऐडमिरल गोर्शकोव था जिसका नाम बाद में बदलकर विक्रमादित्य कर दिया गया। विक्रमादित्य में विमानपट्टी भी है।

ब्रह्मोस मिसाइल का भारत और रूस मिलकर विकास कर रहे हैं। मल्टी मिशन मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर की है और इसकी गति 208 मैक यानी ध्वनि की क्षमता से तीन गुना तेज है। यह जमीन, समुद्र, उप समुद्र और आकाश से समुद्र और जमीन पर स्थित टारगेट पर मार कर सकती है। मिसाइल 'स्टीप डाइव कैपेबिलीटीज' से सुसज्जित है जिससे यह पहाड़ी क्षेत्रों के पीछे छिपे टारगेट पर भी निशाना साध सकती है। ब्रह्मोस के एयर फॉर्मेट को भारतीय वायु सेना के सुखोई-30 एमकेआई फाइटर पर उड़ान टेस्ट के लिए तैयार किया जा रहा है। नेवी ने अपनी कई वॉरशिप पर इस मिसाइल को तैनात किया है, जिसमें रडार की पकड़ में न आने वाले पोत भी शामिल हैं। IAF भी इस क्रूज मिसाइल को अपने हेवी ड्यूटी फाइटर सुखोई-30 MKI पर लगाने जा रही है। सेना में ब्रह्मोस ब्लॉक-1 और ब्लॉक-2 रेजिमेंट को शामिल किया गया है।

इस टैंक में 125 एमएम की स्मूथबोर गन है। इसके साथ ही, इसमें 12.7 एमएम की मशीनगन भी है जिसे मैनुअली ऑपरेट किया जा सकता है। कमांडर इसे अंदर बैठकर रिमोट से भी कंट्रोल कर सकता है। ऐसा कहा गया कि भारत का टी-90एस रूस के टी-90ए का डाउनग्रेड वर्जन है लेकिन भारत ने इसे इजरायली, फ्रांसीसी और स्वीडिश सब सिस्टम्स से लैस कर रूसी वैरियंट से भी बेहतर कर दिया है।

भारतीय बीएमडी प्रोग्राम को उस वक्त चर्चा मिली जब पहली बार इसे लेकर घोषणा की गई। एक शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल पर इसका परीक्षण किया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक शॉर्ट नोटिस पर इसे देश के प्रमुख शहरों की सुरक्षा में तैनात किया जा सकता है। इस सिस्टम में ग्रीन पीन रडार के फॉर्म के साथ दो इंटरसेप्टर मिसाइल, PAD (पृथ्वी एयर डिफेंस) और AAD (एडवांस एयर डिफेंस) शामिल हैं। PAD 2 हजार किमी तक मार कर सकती है। जबकि AAD 250+ किमी की रेंज तक इस्तेमाल की जा सकती है। दोनों ही मिसाइलों को इनरशियल नेविगेशन सिस्टम (INS) के जरिए गाइड किया है।

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