बांग्लादेश का इतिहास 1971 में एक महत्वपूर्ण घटना के साथ जुड़ा हुआ है, जिसे "मुक्तियुद्ध" या "बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम" के रूप में जाना जाता है। इस घटना ने बांग्लादेश की आजादी की यात्रा को शुरू से लेकर सम्पन्न तक कायम रखा और वहाँ के लोगों की आजादी और स्वतंत्रता की मांग को पूरा किया।इस संघर्ष की जड़ें पूर्व-पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश (जो तब तक पूर्व पाकिस्तान का एक हिस्सा था) के बीच की राजनीतिक और सामाजिक विवादों से जुड़ी थी। बांग्लादेश की जनसंख्या बड़ गई थी और उन्हें अपने स्वतंत्रता और स्वाधीनता की मांग थी, लेकिन पूर्व-पाकिस्तान सरकार इसे नकारती थी।1971 में एक बड़े स्वतंत्रता संग्राम के बाद, जिसमें बांग्लादेश के लोग और भारत सरकार भी शामिल थे, बांग्लादेश ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की और दुनिया के विभिन्न देशों ने इसे स्वीकार किया।1971 के बाद, बांग्लादेश ने एक अलग राष्ट्र के रूप में अस्तित्व में आया और यह उसके लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मोमेंट रहा। इसके साथ ही, इस घटना ने दिखाया कि लोग कैसे अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर सकते हैं और इसने बांग्लादेश की राष्ट्रीय और सांस्कृतिक पहचान को मजबूती दी।इस तरह, 1971 का मुक्तियुद्ध बांग्लादेश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण चरण का प्रतीक बन गया, जिसने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र और स्वाधीन राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।
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