कोई अपने दिमाग के अन्दर ही कैद है कोई अपने दिल में ही कैद है कोई अपने शरीर में ही कैद है कोई चारदीवारी में कैद है कोई दुनियादारी में कैद है कोई अपनी यारी में कैद है कोई व्यभिचारी में कैद है कोई अपने परिवार में कैद है कोई संसार में वस इतनी ही है जिंदगी एक कैदखाना फिर भी होना होगा रवाना नहीं है यहां किसी का भी शाश्वत ठिकाना।
Beautiful thoughts
3 months ago by shashiprabha (66)
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