दर्द जीने नहीं देता और फर्ज मरने नहीं देता हर खुबसूरत दिल रखने वाले का यही मर्ज है दवा ढूंढ कर थक जाएगा कोई हकीम वैद्य डाक्टर नहीं मिलेगा जो मरज को ठीक कर पाए बस सकून तो वहीं मिलेगा जहां से बचकर सकून की तलाश में चले लौटकर देखा असलियत में तो सकून वही था जिससे मन दामन छुड़ाने को बेताब था वहीं फर्ज निभाने में दर्द से मुक्त हुआ।
Beautiful thought
3 months ago by shashiprabha (66)