इस जन्म में ,हमारे संबंध उसी आत्मा से जुड़ते हैं,
जिनसे हमारा पिछले जन्मों में ..कोई रिश्ता होता है ,
या, उनसे हमारी आत्मा का , किसी कारण कोई पिछला.. लेना - देना, बाकी रह गया होता है।
जब हिसाब किताब खत्म ..तो सम्बन्ध भी खत्म !
यह सब हिसाब किताब का खेल है।
कर्म गति टारै नहीं टरै
जिससे लिया है तो, देना भी जरूर पड़ेगा, उससे कोई बच नहीं सकता ,
इसलिए ..जिसका देना है, उसे अभी दे दो..
अगर किसी से लेना है तो उससे ले लो.
या फिर माफ कर दो,कलम काट दो कि ,अब नहीं लेना
तभी हम बार बार के जन्म मरण से बच सकते हैं ।
।
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