दर्द को दल के निहाँ-ख़ाने में आबाद किया
तेरी चाहत में दिल-शाद को नाशाद किया
डूब कर इशक़ में लिखने के सिले में हमने
गौहर-ए-दिल को तेरे इशक़ में बर्बाद किया
हाएए ए इशक़ तेरी राह में हमने क्योंकि
हसरत-ए-दीद से हर खोह ब को नौशाद किया
तेरी ख़ातिर ए मुहब्बत सर-ए-बाज़ार खुबी
विरसा नीलाम तेरी राह में अज्दाद किया
मुंतज़िर ही इस उम्र-ए-रवाँ में वशमा
रात-दिन तुझको मेरी जान फ़क़त याद किया