New: flamesthatroarAll contenthive-129948hive-196917krzzansteemhive-183959hive-180932hive-166405photographyhive-185836uncommonlabhive-150122hive-183397hive-144064bitcoinlifehive-188619hive-103599krsuccesshive-139150hive-101145hive-145157hive-124908hive-184714hive-109690TrendingNewHotLikersflamesthatroar (25)in poem • 6 years agoसोचयह सोच भी क्या चीज़ है न तू जाने न मैं जानूँ, ऐ ज़िन्दगी कोई देखता केवल काँटे है तो कोई देखे केवल पंखुड़ी इस सोच ने ऐसा क्या किया जो मनुष्य के विनाश को उसी का विकास बता दिया पर इस सोच में फिर…flamesthatroar (25)in poem • 6 years agoइज़्ज़त की माँगकिसने मनुष्य को आपस में बाँटा? किसने मनुष्य को छलनी से छाँटा? हमारे इस नज़रिए ने इंसान को मुँह के बल धकेला इसने छोड़ दिया मनुष्य को गहरे तिमिर में अकेला क्यों इंसान पग-पग पर खुद को ठुकराता क्यों…flamesthatroar (25)in poem • 6 years agoChildhood And Maturity Can’t Co-existI want to reach the heights, I want to make a mark. But people say,” I am childish.” They say,” I need to be mature not foolish.” But is maturity good, Only when I leave childhood. A poem by…