माफिया डाॅन और मुख्तार अंसारी के दाहिने हाथ मुन्ना बजरंगी ने पूर्वांचल में दहशत और भय का माहौल पैदा करने में बड़ी भूमिका निभार्इ। 90 के दशक में उसकी दहशत पूरे पूर्वांचल और इससे सटे इलाकों में महसूस की जाती थी। वर्ष 2005 में गाजीपुर के मोहम्मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत छह लोगों की दिनदहाड़े हत्या कर दी। आइये जानते हैं, मुन्ना बंजरंगी कैसे अपराध की दुनिया का बादशाह बना।
छोड़ दी थी पांचवी के बाद पढ़ाई
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी को कुछ और करना मंजूर था। पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। जवानी में मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। मुन्ना फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। 17 साल की नाबालिग उम्र में ही पहला मुकदमा दर्ज हुआ। जौनपुर के सुरेही थाने में पहला केस दर्ज हुआ था। मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा। वह अपराध के दलदल में धंसता
जानें प्रेम प्रकाश से कैसे माफिया डाॅन बना मुन्ना बजरंगी, 20 साल में की थी 40 हत्याएं
90 के दशक में अपराध जगत में शामिल होने वाले मुन्ना बजरंगी की एक समय पूर्वी यूपी और बिहार के कुछ इलाकों में दहशत जोरों पर थी।
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। माफिया डाॅन और मुख्तार अंसारी के दाहिने हाथ मुन्ना बजरंगी ने पूर्वांचल में दहशत और भय का माहौल पैदा करने में बड़ी भूमिका निभार्इ। 90 के दशक में उसकी दहशत पूरे पूर्वांचल और इससे सटे इलाकों में महसूस की जाती थी। वर्ष 2005 में गाजीपुर के मोहम्मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत छह लोगों की दिनदहाड़े हत्या कर दी। आइये जानते हैं, मुन्ना बंजरंगी कैसे अपराध की दुनिया का बादशाह बना।
छोड़ दी थी पांचवी के बाद पढ़ाई
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी को कुछ और करना मंजूर था। पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। जवानी में मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। मुन्ना फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। 17 साल की नाबालिग उम्र में ही पहला मुकदमा दर्ज हुआ। जौनपुर के सुरेही थाने में पहला केस दर्ज हुआ था। मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा। वह अपराध के दलदल में धंसता चला गया।
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अस्सी के दशक में की थी पहली हत्या
मुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था। इसी दौरान उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया। मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था। इसी दौरान 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में दम दिखाया। उसके बाद उसने कई लोगों की जान ली।
मुख्तार अंसारी के गैंग में हुआ शामिल
पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। यह गैंग पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था। मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद इस गैंग की ताकत बढ़ गई। मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था। वह लगातार मुख्तार अंसारी के निर्देशन में काम कर रहा था।
ठेकेदारी और दबंगई ने बढ़ाए दुश्मन
पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे। उन पर मुख्तार के जानी दुश्मन ब्रिजेश सिंह का हाथ था। उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था. इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे। कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार गैंग को रास नहीं आ रहा था। उन्होंने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी।
मुन्ना ने की भाजपा विधायक की हत्या
मुख्तार से फरमान मिलने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची और उसके चलते 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय की हत्या कर दी। उसने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर एके-47 से सैकड़ों गोलियां बरसाई थी। इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे। पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी। इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था।
सात लाख का इनामी था मुन्ना
भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी इसलिए उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप है। वो लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा। पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था।
मुंबई में ली पनाह
यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार मुन्ना बजरंगी को तलाश कर रही थी। उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया। उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा। इस दौरान उसका कई बार विदेश जाना भी होता रहा। उसके अंडरवर्ल्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे। वह मुंबई से ही फोन पर अपने लोगों को दिशा निर्देश दे रहा था।
राजनीति में आजमाई किस्मत
एक बार मुन्ना ने लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना एक डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की, जिसके चलते मुख्तार अंसारी से संबंध खराब हो गए थे। बाद में मुन्ना बजरंगी ने कांग्रेस का दामन थामा। वह कांग्रेस के एक कद्दावर नेता की शरण में चला गया। कांग्रेस के वह नेता भी जौनपुर जिले के रहने वाले थे मगर मुंबई में रह कर सियासत करते थे। मुन्ना बजरंगी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नेता जी को समर्थन किया था।
एनकाउंटर के डर से खुद गिरफ्तारी करवाई
उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे। वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था। उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से गिरफ्तारी कराई थी। मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था। बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक है इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया तब से उसे अलग अलग जेल में रखा गया। इस दौरान उसके जेल से लोगों को धमकाने, वसूली करने जैसे मामले भी सामने आते रहे हैं। मुन्ना बजरंगी का दावा था कि उसने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में 40 हत्याएं की हैं।
हत्या के पीछे सुनील राठी गैंग का हाथ
मुन्ना बजरंगी की हत्या के पीछे पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड में सक्रिय सुनील राठी गैंग का हाथ बताया जा रहा है। सुनील राठी यूपी के साथ उत्तराखंड में सक्रिय है। सुनील की मां राजबाला छपरौली से बसपा से चुनाव लड़ चुकी है।पिछले साल 2017 में बसपा के पू्र्व विधायक लोकेश दीछित से मुन्ना बजरंगी और सुल्तीन ने रंगदारी मांगी थी। साथ ही जान से मारने की भी धमकी दी थी। इसी केस में आज उसकी कोर्ट में पेशी थी, रविवार सुबह झांसी जेल से लाकर उसे रात 9 बजे बागपत जेल में शिफ्ट किया था। बताया जा रहा है कि आज सुबह सुनील राठी और मुन्ना बजरंगी में झगड़ा हुआ जिसके बाद मुन्ना बजरंगी को गोली मार दी गई। इस दौरान कई राउंड फायरिंग हुई। पुलिस आलाधिकारी जेल में मौजूद हैं और मामले की जांच कर रहे हैं। बताया गया कि कुछ दिन पहले ही मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने अपने पति की जान को खतरा बताया था। मुन्ना की पत्नी ने दो दिन पहले लखनऊ में अपने पति की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था।
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