दुश्मनों से बब्बर शेर की तरह लड़ा और सीने पर गोलियां खाते हुए देश पर कुर्बान हो गया विक्रमजीत सिंह (26 वर्ष)। हरियाणा के अंबाला जिले के गांव तेपला निवासी विक्रमजीत सिंह मंगलवार सुबह जम्मू कश्मीर के गुरेज सेक्टर में शहीद हो गए। जैसे ही खबर परिजनों तक पहुंची, कोहराम मच गया। पत्नी हरप्रीत कौर और मां कमलेश कौर का रो-रोकर बुरा हाल है।
पिता किसान बलजिंद्र सिंह भी टूट गए हैं, लेकिन उन्हें बेटे की शहादत पर गर्व है। कहते हैं कि बेटा 5 साल पहले 2013 में लांस नायक के पद पर भर्ती हुआ था। पहली पोस्टिंग फिरोजपुर में हुई थी। करीब डेढ़ साल पहले उनका तबादला जम्मू कश्मीर में हो गया। उसका भाई मोनू सिंह (22 वर्ष) भी सेना में गुवाहाटी में तैनात है, वहीं दादा करतार सिंह सेना से ही पैराकमांडो से रिटायर्ड हुए थे।
जनवरी में हुई थी शादी, तीन माह बाद घर में गूंजने वाली है किलकारी
विक्रमजीत उर्फ सोनी की इसी साल 15 जनवरी को यमुनानगर जिले के पामनीपुर गांव की हरप्रीत कौर से शादी हुई थी। छुट्टी मनाने के बाद वह 24 मार्च को ड्यूटी के लिए रवाना हो गया। पत्नी छह माह की गर्भवती है और तीन माह बाद घर में बच्चे की किलकारी गूंजने वाली है। सोमवार दोपहर 12 बजे अंतिम बार फोन पर बात हुई थी, तो कहा था कि वह डिलीवरी से पहले छुट्टी पर आएगा।
ऐसे हुई आतंकियों से टक्कर
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सेना की 36 आरआर और 9 ग्रेनेडियर ने मिलकर एलओसी के नाने सेक्टर और बकतूर में सर्च अभियान चलाया। इस दौरान आतंकियों की घुसपैठ को रोकने के लिए की गई गोलीबारी में दो उग्रवादियों को मारने में सफलता मिली, जबकि सेना के चार जवान शहीद हो गए।
गांव से दो जवान पहले हो चुके हैं शहीद, एक की ड्यूटी के दौरान हुई थी मौत
तेपला गांव की माटी में सैनिक बनने का जज्बा है। करीब 250 घरों में सेना के जवान भर्ती हैं। इससे पहले भी गांव के ही दो जवान कारगिल युद्ध के दौरान मेजर गुरप्रीत सिंह और वर्ष 2005 में जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए हरजिंदर सिंह शहीद हो गए थे। वहीं अरुणाचल प्रदेश में ड्यूटी के दौरान पहाड़ से पैर फिसलने पर विनोद सिंह की मौत हो गई थी।
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