कैसा शहर है ये मेरा।।
ख्वाब का कत्ल करके जीवन को को जिंदा रखते है लोग।
नकली स्मित चेहरे पे लाकर गम को धोखा देने की गुस्ताखी करते है लोग।
ना किसीकी कोई मंजिल है।
ना किसीकी कोई पहेचान है।
रास्ते वही है रोज के,
करवा भी वही से गुजरता है रोज।
मकसद क्या है,अनजान है सब।
पहचाना जाता है हर शख्श बैंक की बैलेंस पर।
जज्बातो का भी कोई लॉकर होता ,
हमसे बडा कोई अमीर ना होता।
" जय"
Wah Bapu tame to sacha Kavi thai gaya
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Thanks....me khud banavi chhe ho
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