आजकल के इस दौर में हम अकेले एक घंटे शान्ति से नही बेठ सकते हैं क्योंकि उस समय हमे फालतू के काम याद आने लगते हैं और हम उन कामों के बारे में सोच कर दुखी हो जाते हैं प्रकृति से अपने आप को जुड़े हुए हैं वो आज सही
माईनो मे खुश हैं क्योंकि प्रकृति से अपने आप को जोड़ने मे जो खुशी मिलती है वास्तविक खुशी वो होती है
आज हम खुश हो ने का दिखावा
करते हैं क्या खुश होना उस
दिखावे को कहते हैं नही असली
खुशी चेहरे पर दिखती है