एक रोजा करके देखा
पहिला रोजा वह भी शुक्रवार को, सोचा मैं भी क्यूँ न करू?
सहेरी 4.27 बजे। इतनी जल्दी खाना मेरे लिए मुश्किल था। भगवान को याद करके सो गया। लेकिन दृढ़ निश्चय था कि मैं जरूर पहला रोजा करूँगा ही, मुझे अपने मुस्लिम बांधव इतने धूप में पूरा महीना कैसे निभाते हैं देखना था और अनुभूतियों को पाना था।
शुक्रिया ईश्वर, मैं ये कर पाया, बेहतरीन अनुभूतियों के साथ।
मैं भूख को भूल गया था, बहुत दिनों से; उसे आज आजमाया मैंने। शुक्रिया खुदा तूने मुझे आज भूखे प्यासे का एहसास दिलाया। तूने बनाया एक एक दाना कितना मूल्यवान और हम झूठे लोक कितना थाली में झूठा छोड़ देते है। तूने आज मुझे संयम सिखाया। भरपूर होते हुए भी मैंने किसी भी चीज को छुआ नहीं।
तूने मुझे शांति का एहसास कराया। मैं इस दरमियान बहुत शांति से सबके साथ व्यवहार करना पसंद करता रहा। सब अपने हैं और दुनिया में तुझसे बेहतरीन कोई नहीं हैं, इसका एहसास तूने दिलाया। हे खुदा तुम्हारी याद बार बार आती रही। बहुत हल्का लग रहा था, जैसे कि तूने मेरे सब गुन्हाये जला डाले। शाम के 7.06 कब बजे पता ही नहीं चला। दुनिया बनाने वाले तूने इंसान के लिये बनाई खाने की चीजें, आज इफ्तार के समय जन्नत के सुख से ज्यादा बेहतरीन लग रही थीं। सिर्फ़ इतनी दुआ हैं तुझसे, हे भगवान दुनिया मे किसी को भूखा मत रखना और हम जैसे हजारों हातों को भुखियों की भूख, प्यासों की प्यास मिटाने के लिए तैयार करना। सबको रमजान महिना मुबारक हो।
*गजानन राजमाने*
*जयहिंद*
Gajanan Rajmane Sir may Almighty bless You and Your family with Happiness, Prosperity and Nek Hidayah in your life.
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Cpd
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