हनुमानजी ने ऐसी पाई थी शिक्षा
जब हनुमानजी विद्या ग्रहण करने के योग्य हुए तो माता-पिता ने उन्हें सूर्यदेव के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा। हनुमानजी ने जाकर सूर्यदेव से गुरु बनने के लिए प्रार्थना की। तब सूर्यदेव ने कहा कि मैं तो एक क्षण के लिए रुक नहीं सकता और न ही मैं रथ से उतर सकता हूं। ऐसी स्थिति में मैं तुम्हें किस तरह शास्त्रों का ज्ञान दे पाऊंगा।
तब हनुमानजी ने कहा कि आप बिना अपनी गति कम किए ही मुझे शास्त्रों का ज्ञान देते जाइए। मैं इसी अवस्था में आपके साथ चलते हुए विद्या ग्रहण कर लूंगा। सूर्यदेव ने ऐसा ही किया। सूर्यदेव वेद आदि शास्त्रों का रहस्य शीघ्रता से बोलते जाते और हनुमानजी शांत भाव से उसे ग्रहण करते जाते। इस प्रकार सूर्यदेव की कृपा से ही हनुमानजी को ज्ञान की प्राप्ति हुई।
स्वयं भगवान श्रीराम भी सूर्यदेव की उपासना करते थे। श्रीराम का जन्म भी सूर्यवंश में हुआ था। धर्म ग्रंथों के अनुसार, सूर्यवंश की स्थापना महाराज इक्ष्वाकु ने की थी। इसी वंश में आगे जाकर राजा सगर, दिलीप, भगीरथ, दशरथ व भगवान श्रीराम हुए।