Deep Introspection

in happiness •  3 years ago 

(एक बिगड़ी हुई औलाद भला क्या जाने
कैसे माँ बाप के होटों से हसी चली जाती है |)

आने में बरसो निकल जाते हैं .
उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं होता
जब गायब हो जाती है
दर्द को ठिकाने लगाने वाला मिलता नहीं कोई |

एक बिगड़ी हुई औलाद भला क्या जाने
कैसे माँ बाप के होटों से हसी चली जाती है |

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