(एक बिगड़ी हुई औलाद भला क्या जाने
कैसे माँ बाप के होटों से हसी चली जाती है |)
आने में बरसो निकल जाते हैं .
उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं होता
जब गायब हो जाती है
दर्द को ठिकाने लगाने वाला मिलता नहीं कोई |
एक बिगड़ी हुई औलाद भला क्या जाने
कैसे माँ बाप के होटों से हसी चली जाती है |