कानूनी तरीके से करोड़ों रुपये कमा रहे हैं भारतीय हैकर्स, जानें कैसेsteemCreated with Sketch.

in hecker •  2 years ago 

2016 की गर्मियों में किसी दिन प्रणव हिवरेकर फसबुक के आधुनिकतम फीचर में मौजूद कमियों को तलाशने के मिशन पर निकले। प्रणव हिवरेकर फुल टाइम हैकिंग का काम करते हैं। फेसबुक ने करीब आठ घंटे पहले ही, अपने यूजरों को नया फीचर देने की घोषणा की थी। जिसके मुताबिक यूजर्स वीडियो पोस्ट पर भी कमेंट कर सकते थे।

प्रणव ने कमियों को जानने के लिए सिस्टम की हैकिंग शुरू की, खासकर वैसी कमी जिसका इस्तेमाल करके साइबर अपराधी कंपनी के नेटवर्क को नुकसान पहुंचा सकते थे और डाटा चुरा सकते थे। इस दौरान प्रणव को वह कोड मिला जिसके जरिए वे फेसबुक का कोई भी वीडियो डिलीट कर सकते थे।

पुणे के एथिकल हैकर प्रणव बताते हैं, “मैंने देखा कि उस कोड की मदद से कोई भी वीडियो डिलीट किया जा सकता था, अगर मैं चाहता, मार्क जुकरबर्ग का अपलोड किया वीडियो भी डिलीट कर सकता था।”

उन्होंने इस कमी या बग के बारे में फेसबकु को उसके ‘बग बाउंटी’ प्रोग्राम के तहत बताया। 15 दिनों के भीतर फेसबुक ने उन्हें पांच अंकों वाली इनामी रकम से सम्मानित किया वो भी डॉलर में।

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कुछ एथिकल हैकर काफी पैसा कमा रहे हैं और यह इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। इस तरह के बग हंटिंग का काम करने वाले ज्यादा लोग युवा होते हैं। इंडस्ट्री के अनुमान के मुताबिक हैकरों में दो तिहाई की उम्र 18 से 29 साल के बीच है। इन लोगों को बड़ी कंपनियां कोई भी खामी बताने पर बड़ी इनामी राशि देती है। वे किसी साइबर अपराधी से पहले वेब कोड की कमी का पता लगाते हैं।

जिन बग का पहले पता नहीं चल पाया हो उन्हें तलाशना बेहद मुश्किल काम होता है। लिहाजा इस काम के लिए उन्हें हजारों डॉलर की रकम मिलती है। यह एक तरह से एथिकल हैकरों के लिए बड़ी इनसेंटिव होती है।

उत्तर भारत के इथिकल हैकर शिवम वशिष्ठ साल में सवा लाख डॉलर की आमदनी कर लेते हैं। वे बताते हैं, “इस तरह की इनामी रकम ही मेरी आमदनी का एकमात्र स्रोत है। मैं दुनिया की बड़ी कपंनियों के लिए कानूनी तौर पर हैकिंग का काम करता हूं और इसके लिए पैसे मिलते हैं। यह एक तरह से फन भी है और चुनौतीपूर्ण काम भी।”
कैसे सीख सकते हैं हैकिंग
इस क्षेत्र में कामयाबी हासिल करने के लिए किसी आधिकारिक डिग्री या अनुभव की जरूरत नहीं है। शिवम ने अन्य हैकरों की तरह से यह काम आनलाइन रिसोर्सेज और ब्लॉग के जरिए सीखा है। शिवम बताते हैं, “हैकिंग सीखने के लिए मैंने कई रातें जागकर बिताई है, ताकि सिस्टम पर अटैक कर सकूं। मैंने दूसरे साल के बाद यूनिवर्सिटी की पढ़ाई छोड़ दी थी।”

ईनामी रकम का असर
साइबर सिक्योरिटी फर्म हैकरवन के मुताबिक, 2018 में अमेरिका और भारत के हैकरों ने सबसे ज्यादा इनामी रकम जीतने का काम किया। इनमें से कुछ हैकर तो साल में 3.5 लाख डॉलर से भी ज्यादा कमा रहे हैं।

हैकिंग की दुनिया में गीकब्वॉय के नाम से मशहूर संदीप सिंह बताते हैं कि इसमें काफी मेहनत करनी होती है। वे कहते हैं, “मुझे अपनी पहली वैध रिपोर्ट और इनामी रकम जीतने में छह महीने का समय लगा और इसके लिए मैंने 54 बार आवेदन किया था।”

इंडस्ट्री की मुश्किलें
चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी, इनामी रकम के बाजार में भीड़ बढ़ती जा रही है और हर कोई बहुत ज्यादा कमा नहीं रहा है। कुछ लोग हैं जो ढेरों पैसा बना चुके हैं लेकिन जयादातर लोगों ने कोई पैसा नहीं बनाया है। इसके अलावा इस इंडस्ट्री की सबसे बड़ी मुश्किल जेंडर असंतुलन का होना है।

बग क्राउड की कासी इली ने बताया, “साइबर सिक्यूरिटी का क्षेत्र परंपरागत तौर पर पुरुषों के दबदबे वाला क्षेत्र है। इसलिए इस बात को बहुत अचरज से नहीं देखा जाना चाहिए कि दुनिया भर के हैकरों में महज 4 प्रतिशत हैकर महिलाएं हैं।”

बग क्राउड ने इंडस्ट्री की दूसरी बड़ी कंपनियों के साथ मिलकर इस क्षेत्र में महिलाओं को आने के लिए प्रोत्साहित करने वाले कई कार्यक्रम चलाए हैं। ताकि इंटरनेट की दुनिया ज्यादा सुरक्षित जगह बनाई जा सके। लेकिन अभी बदलाव के लिए काफी कुछ करना बाकी है।

जेसे किन्सर ने एक इंटरव्यू में कहा था, “ऐसा इसलिए है क्योंकि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के काम को कमतर आंका जाता है। यह हर जगह की समस्या है। इसलिए मैं इसे समाज की समस्या मानती हूं। टेक में दिलचस्पी रखने वाली महिलाओं को लाना समस्या का हल नहीं है। हम लोग यहां हैं ही और हमारा जन्म हो चुका है।”

जेसे किन्सर को उम्मीद है कि जैसे-जैसे इंटरनेट को सुरक्षित बनाने जाने की मांग जोर पकड़ेगी, वैसे-वैसे ज्यादा महिलाएं इस क्षेत्र में आती जाएंगी और हैकिंग समुदाय से भी उन्हें मदद मिलेगी।

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