मानव जीवन।
प्रायः दुर्लभ कहलाता है।
लेकिन सतकर्मों को करके,
वह फिर मानव बन जाता है।
सच्चा मानव है वही यहाँ,
जो सद्गुरू को अपनाता है।
परमार्थ सदा करता रहता,
ईश्वर से उसका नाता है।
जो जीवन भर सदैव सबके,
दुःख दर्द मिटाता रहता है।
सेवा सबकी वह करता है,
आशीष सभी का पाता है।
स्वयमेव दुःख सहकर के जो,
दुखियों के दर्द मिटाता है।
संताप क्लेश हर लेता है,
वह देव रूप बन जाता है।
सब जीवों से जो प्यार करे,
ईश्वर में ध्यान लगाता है।
वह ही सच्चा सेवक प्रभु का,
भगवान रूप बन जाता है।
कृष्ण, इशा, बुद्ध, मोहम्मद ने,
कुछ ऐसा ही कर दिखलाया है।
गुणगान उन्हीं के गाते है,
इतिहास नया बन जाता है।