सुविचार 3

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संघर्ष और सेवा दोनों ही हमारे जीवन की दिशा और दशा दोनों का निर्धारण करने वाले होते है।

जब कभी भी हम जीवन में संघर्ष कर रहे होते है,उस समय हम सेवाभावी भी बनें रहें,यह संभवतः विरोधाभास की स्थिति को प्रर्दशित करता है, क्योंकि जब हम स्वयं के जीवन के लिए संघर्षरत होते है,उस समय अन्य लोगों की पीड़ा को हम अनुभव तो करते है, किंतु उसे दूर करने अथवा उसमें सहभागिता में स्वयं को अक्षम सा पाते है।

ऐसी स्थिति सदैव ही पीड़ित के मन में हमारे प्रति बुरे भावों को जन्म देती है,जो हमारे जीवन में एक संघर्ष की एक नवीन कड़ी को जोड़ने का कार्य करती है।

जब भी जीवन संघर्षमय हो,उस समय निश्चित ही संघर्ष और सेवा में तालमेल स्थापित करना कठिन होता है, किंतु यदि हम अपनी सेवा को जो हम यथासंभव कर सकते है, अपने संघर्ष का एक अंग मान लेते है, तो आने वाला अच्छा समय हमें लोगों और समाज के बीच एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करने वाला होता है।

यही हमारे जीवन की दिशा और दशा को उन्नत बनाने में सहयोगी है।

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