अच्छा और बुरा दोनों ही हमारे जीवन से जुड़े ऐसे आयाम है,जो हमारे भविष्य के निर्माण और विनाश के कारण है।
जीवन में कभी भी किसी भी व्यक्ति का बुरा न तो करना चाहिए,ना हि बुरा करने के विषय में सोचना चाहिए, क्योंकि बुराई सदैव ही बुरे में होती, व्यक्ति में नहीं, व्यक्ति हमेशा, बुरा करने से बुरा बनता है और अच्छा करने से अच्छा।
जब हम अच्छा कर सकते है और अच्छे बन सकते है, तो फिर बुरे बनने की आवश्यकता ही क्या है?
अधिकांशत: अनेकों लोगों के मन में यह प्रश्न आता है, कि जो व्यक्ति बुरा कर रहा है वह सबकी दृष्टि में भला बना हुआ है और जो भला कर रहा है वह सबकी दृष्टि में बुरा बना हुआ है।
स्मरणीय बिंदु यह है, परिस्थितियां चाहे बुरा करने वाले को कितना भी अच्छा क्यों ना बनाती हो, एक दिन उसकी बुराई एवं बुरे कार्य प्रत्यक्ष रूप में प्रदर्शित हो ही जाते है, जो उसके जीवन भर भले बने रहने झूठे चोले को उतार उसे निर्वस्त्र कर उसकी बुराई को सभी के सामने लाकर खड़ा कर देते है।
इसलिए जीवन में अच्छाई का आवरण अच्छे बनने से ही धारण किया जा सकता है,जो सच्चा होता है,जो हर स्थिति में अपने वास्तविक स्वरूप को दर्शाता है, बुराई पर अच्छाई का आवरण धार लेने से एक दिन वास्तविकता सामने आकर ही रहती है।
आपका दिन मंगलमय हो।🌹🌸🌼🌻🌺🍁🏵️💐🚩
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