नमस्कार दोस्तों. वैसे तो हम सब जानते ही हैं के ध्यान के कईं प्रकार हैं. और ध्यान के उन्हीं अनगिनत प्रकारों में से ही एक प्रकार है “एकाग्रता ध्यान”.
इस ध्यान में हमें सिर्फ किसी भी एक वस्तु / चीज़ पर ध्यान देना होता है. किसी भी एक वस्तु का चयन करें और उस पर अपना सारा ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करें (10 minutes / 15 minutes या कोई भी समय आप निर्धारित करें).
आप अपना सारा ध्यान अपनी साँसों पर केन्द्रित करके “एकाग्रता ध्यान” को कर सकते हैं, या फिर कुछ भी. जैसे की किसी भी एक मंत्र या किसी शब्द को जपना / दोहराना, मोमबत्ती के प्रकाश की और ध्यान लगाना, घड़ियाल (घडी) की टिक टिक को सुनना, एक बिंदु बना कर उस पर ध्यान लगाना या फिर माला के मनकों को गिनना.
चुकी ध्यान एक बहुत ही मुश्किल काम है, इसीलिए शुरूआती तौर पर आप कम से कम वक़्त अपने लिए निर्धारित करें. जैसे की 2-3 minutes शुरू करने के लिए. और रोज़ के अभ्यास के साथ आप हर हफ्ते इस समय को बढ़ाते जाएँ. लेकिन ध्यान रहे, 10 / 15 minutes बढ़ने के बजाये, समय को सिर्फ 2-3 minutes हर हफ्ते बाधाएं. ज्यादा नहीं. और धीरे धीरे आपको पता भी नहीं लगेगा के कब आप 20-25 minutes बड़े आराम से ध्यान कर पायेंगे.
“एकाग्रता ध्यान” में ध्यान रहे के जब भी / जब कभी आपका ध्यान भटके, आपको बिना किसी चिंता के बड़े आराम से अपने ध्यान को वापिस उसी वस्तु पर ले आयें. परेशां न हों. याद रहे के अपने ध्यान को बहुत आराम से वापिस लाना है, बिना अपने आप को कोसे. खुदको कोसना या कुछ कहना नहीं है. क्युकी ये बहुत ही नेचुरल है. ध्यान है ही भटकने के लिए, इसीलिए तो हम सीखने का प्रयास कर रहे हैं. इसीलिए अपने ध्यान को एक शिशु / बालक की तरह समझें और प्यार से, प्रेम से वापिस उसी वस्तु पर ले आयें.
स्त्रोत व और पढने के लिए : https://jqoh.blogspot.com/