Mind bird

in hindi •  6 years ago 

मन पक्षी

मन पंक्षी बोले मोहे जाना है एक दिन|

बीत रहे दिन जीवन के गिन गिन|

मन पंक्षी बोले… … .

क्षणभंगुर संसार में माया डाले हुए है डेरा|

मन पंक्षी तैयार खड़ा है बाधे माथे सेहरा|

कोई न जाने कब हो जाये मनवा एक दो तीन|

मन पंक्षी बोले… … .

मातु पिता अरु बंधु के रूप में बहुते खेल खेलावय|

आवत खूब हसांवत पंक्षी जावत खूब रुलावय|

यही रीति है एक दिन सबकुछ जाइहै तुमसे छिन|

मन पंक्षी बोले… … .

श्यामल गौर कृष्ण कंचन विविध रूप धरे रे|

कह 'सचेन्द्र' माटी के देहिया काहे रौब करे रे|

पंचतत्व क बनल खिलौना पंच मे होई विलीन|

मन पंक्षी बोले… … .



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