वो खुशियों की पुरानी गठरी तो खोल
और अपनी गुड़िया के लिए कुछ कहानियाँ तो बोल।
सुन माँ ,
वो खुशियों की पुरानी .......
वही परियों की सैर करा लाना मुझे
और अपनी कहानियों में सात समुन्दर घुमा लाना मुझे
देख थक गए हैं कदम चलते-चलते
अब कुछ पल अपनी गोदी में सर रखकर सोने को तो बोल
और माँ ,वो ख़ुशियों की पुरानी ........
सुन माँ
वो कहानियों के साथ खाना भी खिला देना मुझे
जो करती हूँ थोड़े नखरे वो भी उठा लेना मेरे
देख माँ ,भूख लगी है जोरों की तो
अब कहानियाँ कहते-कहते कुछ निवाले तो तोड़
और माँ ,वो ख़ुशियों की पुरानी
सुन माँ
वो राजा वाली सुनाना
और हाँ ! जिस पर बैठा वो राजा
उन घोड़ो की टाप भी सुनना
वो जो शेर जंगल का राजा था
या वो एक परियों का देश पुराना था
देख माँ ,रोते रहे कहानियों के किरदार हर पल
पर होगा अंत हमेशा सुखद
अब ऐसा तो कुछ बोल
और माँ ,वो ख़ुशियों की पुरानी
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