जो काम अज्ञान में किए जा रहे हो
उन कामों को विराम दो।
जो रिश्ते तुम्हारी बेहोशी और अँधेरे को
और घना करते हैं, उन रिश्तों से बाहर आओ
उन रिश्तों को नया करो।
धन का, जीवन का, ऊर्जा का जो हिस्सा
तुम अपनी अवनति की तरफ़ लगाते हो,
उसको रोको।
यही सही जीवन जीने की राह है।