"हेडफ़ोन''
जनता हेडफोन लगाए बैठी है जिसमें गाने नहीं बज रहे। देखने वाले को लग रहा है कि जनता को कुछ अब सुनाई देगा नहीं पर जनता एक कुटिल मुस्कान के साथ सब सुन रही है।खुद को स्मार्ट समझतें हुए उसे लग रहा है कि सबको लगता है ये कुछ सुन नहीं रहीं। जनता सब गुप्त बातें जानती है प्रशासन की शासन की पर वो हेडफ़ोन लगाए बैठी है कि किसी को लगे न कि सारी बात उसने सुन ली है। खुद को स्मार्ट समझतें हुए जनता सारी उम्र यही नाटक करते हुए काट देती है वो कुछ नहीं सुन रही ।वो गलत को गलत नहीं कह रहीं क्योंकि नाटक कर रही है न कि उसने कुछ सुना ही नहीं और जिंदगी भर यही नाटक करते रहे जाती है। लुटती रहती है पर कुछ बोलती नहीं नाटक करना जरूरी है न स्मार्ट जो इतनी है कितनी चतुराई से सब गलत सही बातें जान ली।
असलियत यही है कितने मूर्ख हैं न हम....
पता है कि गलत है पर नही बोलेंगे...
स्मार्ट बने रहना जरूरी है खुद की नजरों में
gjb
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