नन्दलाल गोपाल दया कर के वृन्दावन मोहे बसा लेना; आंखों से पर्दा हटा मोहे, निज रूप का दर्श दिखा देना
१. धन धाम ना मांगू तुझसे कभी, कोई और ना आस मुराद मेरी; मोहे चरणों मे अपने बिठा लो हरि, मोहे नाम का जाप सिखा देना
२. जी चाहता है तेरी सेवा करूं, तेरी सांवरी सूरत देखा करूं; तेरे चरणों को धो धो पिया करूं, मोहे चरणों की दासी बना लेना
३. मायाजाल में मैं तो ऐसी फंसी, तेरा नाम ही लेना भूल गई; मेरी अंत में होगी क्या ही दशा; मोहे बांके बिहारी बचा लेना
४. मिले भक्तों के काम से समय अगर, दासी पे करना दया की नज़र; जब उमड़ेगा भव का सागर, मोहे आ के पार लगा देना
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