मनोदशा - कैलाश कल्पितpushpendarsingh (25) in kavita • 7 years ago मनोदशा - कैलाश कल्पित वे बुनते हैं सन्नाटे को मुझको बुनता है सन्नाटा जीवन का व्यापार अजब है सुख मिलता है, पाकर घाटा। kavita