The answer is that there is no first birth. Failing to accept the first birth will be a major problem. Suppose, God gave birth to a soul, then the question would be, whether on the basis of karma or on the basis of karma? If the first person gave birth, where did the karma come from? On the basis of previous karmas, there was no work behind it, then it was not the first birth. That's the answer. First birth is no one. Whenever you get birth, it will be found on the basis of karma. And where will those actions come from, from that of previous birth And the previous karma came in the previous birth, where did he come from, from the past. Past of him, past of him Therefore, there is no birth at all.
According to these rules, Every human being has Arya from birth, not Hindu and Muslim, neither Christian nor Sikh.
Please note this post is not intended to harm anyone's feelings. Being a human this is our duty to know the truth and go with the truth.
उत्तर यह है कि पहला जन्म कोई नहीं। पहला जन्म मानते ही भयंकर समस्या उत्पन्ना होगी। मान लो, ईश्वर ने किसी आत्मा को पहला जन्म दिया, तो प्रश्न होगा कि, कर्म के आधार पर देगा या बिना कर्म के आधार पर देगा? अगर पहला जन्म दिया तो कर्म कहाँ से आ गया? पिछले कर्म के आधार पर तो पीछे कर्म हुआ न, तो वो पहला जन्म नहीं हुआ न। बस यही उत्तर है। पहला जन्म कोई नहीं है। जब भी जन्म मिलेगा वो कर्म के आधार पर मिलेगा। और वो कर्म कहाँ से आएगा, उससे पिछले जन्म का। और उससे पिछले जन्म में जो कर्म आया, वो कहाँ से आया, उससे पिछले का। उससे पिछले का, उससे पिछले का। इसलिए पहला जन्म कोई नहीं है।
अतः इन नियमों के अनुसार प्रत्येक मानव जन्म से आर्य है, हिंदू और मुस्लिम नहीं, न तो ईसाई और न ही सिख।
कृपया ध्यान दें इस लेख का उद्देश्य किसी के मर्म को आहत करना नहीं है | मनुष्य होने के नाते हमारा कर्तव्य बनता है कि हम सत्य को जाने और सत्य के साथ आगे बढ़ें |