दुनिया गोल है , किसी ने सच से कहा है , ये जहाँ से शुरू करती है वही पे लाके ख़त्म भी करती है फिर चाहे वो जिंदगी का सफर हो , या फिर किसी रिश्ते का ! अनजान से आप , आप से तुम , तुम से फिर अनजान तक सफर यही तो होती है एक रिश्ते की कहानी , कभी आप इतने जरूरी होते हो की साँस भी आपकी बराबरी न कर पाए तो कभी आपको देख के भी अनदेखा कर दिया जाता है कमाल है न
एक रात पहले तक सब सही होता है , पर अगली सुबह सब कुछ बदल जाता है , आप समझ ही नहीं पाते की आपकी गलती क्या होती है एक दम से बेबस , अब क्या ? एक डर , डिप्रेशन , हर समय दिमाग में वही सब कुछ चलते रहना , भले ही बाहर से आप हस रहे होते हो , चहक रहे होते हो , पर अंदर क्या है कोई नहीं जानता और सच भी है किसे बताओगे? किसे समझाओगे ? किसके सामने चिल्लाओगे ?
फिर शुरू होती है दिल और दिमाग की लड़ाई , अक्सर शुरुआत में जीतता दिल ही है ! आप कोशिश करते हो की सब कुछ सही हो जाये हर संभव कोशिश , काश सब सही हो जाये , हर रोज एक उम्मीद की आज सब सही हो जायेगा ,आप रोक लेना चाहते हो की वो आपसे दुर न जाये , कैसे जा सकता है कैसे मुझे छोड़ के , वो तो मेरा है उसने खुद ही तो बोला था की मैं हमेश तुम्हारे साथ हूँ हर कदम पे फिर वो ऐसा कैसा कर सकता है ! हाँ हो सकता है वो नाराज है मुझसे , आप उसके सामने कभी मुस्कुराता चेहरा लेके जाते हो तो कभी उदास , शायद उसे फ़र्क़ पड़े उससे ! हर समय मोबाइल को अपने हाथ में पकडे रहना , कभी आँख लग जाने पर उठते है जल्दबाजी में अपना मोबाइल देखना की कही कोई massage या कॉल तो नहीं ! एक नोटिफिकेशन tune के बजने पर लपक के मोबाइल को देखना और फ़ोन को साइलेंट से रिंग पे रखना की कही ऐसा न हो की उसकी कॉल recieve न कर पाऊ ? पर सब कुछ सच में बदल चूका होता है फिर धीरे धीरे दिल समझने लगता है की वो सच में हार चूका है , तब हावी होता है दिमाग , ऐसे कटाक्ष , ऐसे तीर जो भले ही हमारा भ्रम होता है , जो भले ही सही न हो पर इतनी तकलीफ देते है कि हर पल मानो एक घुटन सी , एक लम्बी साँस , कभी एक टक किसी चीज को देखते रहना , शरीर कही और ., दिमाग कही ! अगर जिन्दा लाश किसी को कहते हो तो इंसान के इस रूप को , एक दोहरा रूप , जो अपने असली रूप में तो तब आ पता है जब उसे कोई देख नहीं रहा होता , जब वो अकेला होता है ! ये वो समय होता है जो सच में बहुत तकलीफ देता है पर बहुत कुछ सीखते हो आप , खुद को समझते हो, खुद को सँभालते हो खुद के दम पे और एक विस्वाश जगाते हो खुद में कि तू रह सकता है अकेले भी बस हौसला रख , टूटना नहीं , रोना नहीं , कल सुबह होगी ! एक आग होती है अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की , एक नयी ऊर्जा , आप खुद के दिमाग को कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रहे होते हो , जब आप सो नहीं पा रहे होते तो खुद को विचारो को कण्ट्रोल कर रहे होते हो . आप संवार रहे होते हो खुद को खुद को , आप दूसरो से ज्यादा खुद पे भरोसा करना सीख रहे होते हो और खुद से बोल रहे होते हो " हाँ मैं ठीक हूँ "
हे कान्हा !