हमारे चारों ओर तालाब, टैंक, झीलें और नदियों जैसे कई अन्य जल निकाय हैं जिन्हें मछली पालन के लिए सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है। मुख्यधारा की खेती के साथ वित्तीय परिप्रेक्ष्य मे पूरे वर्ष मछली पालन का चयन करना उचित है। हालांकि, किसी भी झील या तालाब, जिसमें कम से कम 7 महीने या एक वर्ष तक पानी खड़ा रह सकता है, में मछली पालन किया जा सकता है। प्रत्येक गांव में कम से कम एक झील या तालाब होता है।
मत्स्यपालन विभाग से ऐसे झीलों, टैंक या तालाबों को मछली पालन के लिए ठेके पर लिया जा सकता है। यदि किसान अपने खेत पर अपना तालाब बनाना चाहते हैं तो तीन मुख्य बिंदुओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए। वे हैं: पानी की उपलब्धता, मिट्टी की स्थिति और भूमि की सतह की आकृति।
पानी की उपलब्धता
मछली पालन के लिए जरूरी पानी बारिश, नदी और सिंचाई की नहरों से या कुएं और बोरवेल से प्राप्त किया जा सकता है। नदी या सिंचाई की नहरों से पानी लेने का भी सबसे अच्छा तरीका है। ऐसे पानी के साथ बहने वाले अवांछित जीवों और अपशिष्टों को पानी से अलग करने के लिए जाल का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। खुले कुएं से लिया गया पानी कई तरीकों से काफी साफ होता है। हालांकि, इसमें घुली ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है।
हालांकि, अगर तालाब को पंप सेट से भरा जाता है, तो भूमिगत पानी के खुली हवा में आने पर ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है।
मृदा की स्थिति
तालाब बनाने के उद्देश्य से क्षेत्र की मिट्टी के गुणों की जांच करना महत्वपूर्ण है। अगर मिट्टी रेत मिश्रित हो तो यह मछली पालन हेतु तालाब बनाने के योग्य नहीं है। इसके बजाए, तालाब बनाने के लिए चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त है क्योंकि यह मिट्टी पानी के रिसाव को रोकने में सक्षम है। यह जानने के लिए कि तालाब के निर्माण के लिए मिट्टी उपयुक्त है या नहीं, एक साधारण परीक्षण किया जा सकता है। यदि मिट्टी से रोल (बेलन) ठीक से बनाया जा सकता है तो यह तालाब के लिए उपयुक्त है।
यदि रेत-कीचड़ वाले क्षेत्र में ही तालाब का निर्माण करना जरूरी हो, तो पानी को रिसने या लीक होने से रोकने के लिए चिकनी मिट्टी की एक परत तालाब की दीवार पर और नीचे फैलानी चाहिए।
भूमि की सतह की दशा
तालाब का निर्माण इस तरह से होना चाहिए कि पानी सुचारू रूप से बह सकता हो और बाहर नहीं निकलना चाहिए। यदि पास में नदी है तो पानी भरने के लिए चेक बांध बनाना बेहतर होता है ताकि पानी को तालाब में आसानी से लाया जा सके। तालाब तक आसानी से पहुंचने के लिए रास्ते बनाए जाने चाहिए।
तालाब की संरचना
आमतौर पर मिट्टी को खोदकर तालाब बनाए जाते हैं और उसी मिट्टी का उपयोग इसके चारों ओर बंध बनाने के लिए किया जाता है। इस काम की लागत बहुत महंगी है। लागत को कम करने के लिए इस संबंध में आंध्र- शैली के तालाबों की संरचना को देखना उचित है। आंध्र प्रदेश के किसान भीतरी मिट्टी को खोद कर 5-20 मीटर चौड़ाई और 0.5-1 मीटर गहराई के माप में गड्ढे तैयार करते हैं। खोदी गई मिट्टी तालाब के चारों ओर बांध बनाने के लिए प्रयोग की जाती है।
यह निश्चित रूप से मछली पालन तालाब बनाने की लागत को लगभग 50 प्रतिशत तक कम करेगा। इनमें परिपक्व होने पर मछली पकड़ना भी आसान है। मछली को पकड़ने से पहले के पानी को बाहर निकाला जाता है और सभी मछलियाँ तालाब के नीचे जमा हो जाती हैं और उन्हें जाल की मदद से आसानी से पकड़ा जा सकता है। आंध्र-शैली के मछली तालाबों के निर्माण के लिए जमीन की सतह समतल होनी चाहिए।
very good besnes in haryana
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