भारत का विदेशी कर्ज मार्च, 2016 के आखिर में 485.6 अरब डॉलर रहा, जो मार्च 2015 के 475 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 2.2% या 10.6 बढ़ गया। इस लेख में हम इस बात की व्याख्या कर रहे हैं कि भारत के ऊपर किस प्रकार का विदेशी ऋण है और यह किस तेजी से बढ़ता जा रहा है l
आज से 18 साल पहले सन 2007-08 में भारत का कुल विदेशी ऋण 172.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। जो कि 2010-11 में 317.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया और 2016 में 485.6 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा।
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि भारत के ऊपर मार्च 2016 के अंत में 485.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का विदेशी कर्ज था। यदि अब डॉलर को 69 रुपये के हिसाब से रुपये में बदल दिया जाये तो कुल 3,15,64,910 x 10,00,00 रुपये बनते हैं।
माना वर्तमान में भारत की जनसंख्या 125 करोड़ है।
अब प्रति व्यक्ति औसत कर्ज को निकाला जा सकता है :-
3,15,64,910 x 10,00,00
1,25,00,00,000
इस प्रकार भारत के हर व्यक्ति पर औसत कर्ज हुआ 25251 रुपये हुआं।
भारत सरकार हर साल अपनी कुल आय का 19% ब्याज की अदायगी के रूप में खर्च कर रही है। जबकि शिक्षा और स्वास्थ्य पर 6 फीसदी से भी कम खर्च होता है l इस बात की संभावना बढ़ गयी है कि अगर हालात इसी तरह चलते रहे तो भारत एक दिन “ऋण जाल” में डूब जायेगा।