आज का सामायिक विषय बहुत हृदयविदारक है ,कि कैसे लोगों को छोटी-छोटी बच्चियों में ममता और स्नेह की अपेक्षा मादकता नजर आती है।उनकी जिस्म पर हवस की हैवानियत का पता चलता है जब बच्चियों के शरीर पर जख्म दिखते हैं।
हिंदू मुस्लिम को और मुस्लिम हिंदू को नोचने चल पड़ा है लोगों के आक्रोश का खामियाजा बच्चियां भुगत रही हैं।
हम लोग क्या करते हैं ?सरकार क्या करती है .?बस कुछ दिन कैंडल मार्च निकालेंगे ,कुछ दिन समाचारों की सुर्खियां बनाकर नाम उछालेंगे।
अपराधी पकड़ लिया जाएगा और जमानत भी पा जाएगा ,वहीं पीड़ित को जमाने की रहमत पर छोड़ा जाएगा ,'क्या हुआ जो एक निर्भया चली गई ....कोई बात नहीं दूसरे की बारी आने वाली है...कितने शर्म की बात है....!!
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