नगालैंड में था सिर काटने वाला क़बीला

in nagaland •  7 years ago 

नीलिमा वलांगी
9 जनवरी 2016
इस पोस्ट को शेयर करें Facebook इस पोस्ट को शेयर करें Twitter साझा कीजिए
इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
लोंगवा घने जंगलों के बीच म्यांमार सीमा से लगता भारत का आख़िरी गांव है. भारत के इस पूर्वोत्तर राज्य में 16 जनजातियां रहती हैं.

नगालैंड में सर्वाधिक कबीले
कोंयाक आदिवासियों को बेहद ख़ूंखार माना जाता है. अपने क़बीले की सत्ता और ज़मीन पर क़ब्ज़े के लिए वे अक्सर पड़ोस के गांवों से लड़ाई किया करते थे.

इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
कोंयाक गांव क्योंकि पहाड़ की चोटी पर है, इसलिए वे वहाँ से आसानी से अपने दुश्मनों पर नज़र रख सकते हैं.

आख़िरी पीढ़ी
लोंगवा का आधा हिस्सा भारत में है और आधा म्यांमार में. सदियों से इनके बीच दुश्मन का सिर काटने की प्रथा चल रही थी, जिस पर 1940 में प्रतिबंध लगाया गया.

इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
हत्या या दुश्मन का सिर धड़ से अलग करने को यादगार घटना माना जाता था और इस कामयाबी का जश्न चेहरे पर टैटू बनाकर मनाया जाता था.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ नगालैंड में सिर काटने की आख़िरी घटना 1969 में हुई थी.

पिछली लड़ाइयों के निशान
भैंस, हिरण, सूअर और पूर्वोत्तर में मिलने वाली गोजातीय प्रजाति मिथुन की हड्डियों को कोंयाक क़बीले के हर घर की दीवार पर सजा हुआ देखा जा सकता है.

इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
कोंयाक सिर काटने के ज़माने में दुश्मनों की खोपड़ियों पर क़ब्ज़ा कर इन्हें प्रमुखता से प्रदर्शित करते थे, लेकिन सिर काटने पर रोक लगाने के बाद इन खोपड़ियों को गांव से हटा दिया गया और ज़मीन में दफ़न कर दिया गया.

रहने के मकान
कोंयाक झोपड़ियां मुख्य रूप से बांस की बनी होती हैं. ये काफ़ी विशाल होती हैं और इनमें कई हिस्से होते हैं, जैसे रसोई, खाना खाने, सोने और भंडारण के लिए अलग-अलग स्थान.

सब्ज़ियों, मक्का और मांस को घर के बीचों-बीच बने चूल्हे के ऊपर बांस के कंटेनर में रखा जाता है.

इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
चावल को लकड़ी के डंडे से पीटकर पारंपरिक पकवान चिपचिपा चावल बनाया जाता है.

एक जनजाति, दो देश
इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
लोंगवा का अस्तित्व 1970 में भारत और म्यांमार सीमा रेखा खींचे जाने से बहुत पहले से है.

इस क़बीले को दो हिस्सों में कैसे बांटा जाए, इस सवाल का जवाब न सूझने पर अधिकारियों ने तय किया कि सीमा रेखा गांव के बीचों-बीच से जाएगी, लेकिन कोंयाक पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा.

इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
सीमा के खंभे पर एक तरफ बर्मीज़ में और दूसरी तरफ हिंदी में संदेश लिखा गया है.

अंतरराष्ट्रीय घर
सीमा रेखा से गांव के मुखिया के घर को भी दो हिस्सों में काटती है, यहाँ मज़ाक में कहा जाता है कि गांव के मुखिया रात का भोजन भारत में करते हैं और सोते म्यांमार में हैं.

पारिवारिक समारोह
इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
कोंयाक अब भी मुखिया शासन के अधीन आते हैं जिन्हें अंग कहा जाता है. इस मुखिया के अधीन कई गाँव आ सकते हैं.

अंगों के बीच बहुविवाह की प्रथा प्रचलित है और इन मुखियाओं के कई पत्नियों से कई बच्चे हैं.

बदलती मान्यताएं
इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
19वीं सदी के अंत में ईसाई मिशनरियों के यहाँ पहुंचने तक कोंयाक जीववादी, प्रकृति की पूजा करने वाले लोग थे.

बीसवीं सदी के अंत तक राज्य की 90 फ़ीसदी से अधिक आबादी ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था. आज नगालैंड के हर गांव में कम से कम एक चर्च है.

साप्ताहिक परंपराएं
कोंयाक महिलाएं अक्सर हर रविवार को चर्च जाती हैं और वो भी पारंपरिक नगा स्कर्ट पहने हुए.

लुप्त होती संस्कृति
इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
कोंयाक आदिवासियों के बड़े बुज़ुर्ग चूल्हे की आग के चारों ओर इकट्ठा होते हैं. भुनी हुई मक्का चबाते हैं और हँसी मज़ाक करते हैं.

साथ ही चलता है क़िस्से-कहानियों का दौर. लेकिन अब ये परंपरा लगभग ग़ायब होती जा रही है.

सजावटी ट्रॉफ़ियां
इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
रंगीन मनके और गहने पहनने की प्रथा घट रही है. अतीत में, पुरुष-महिलाएं दोनों हार और कंगन पहना करते थे. पुरुषों के हार में कुछ पीतल के चेहरे दुश्मनों के कटे सिरों की संख्या बताते थे.

बदलते घर
इमेज कॉपीरइटNEELIMA VALLANGI
आधुनिक सभ्यता से हालांकि लोंगवा अब भी काफ़ी दूर है, लकड़ी के घर और छप्पर एक खूबसूरत संग्रह हैं, लेकिन कहीं-कहीं टिन की छतों और कंक्रीट का निर्माण बदलाव की कहानी का संकेत दे रहे हैं.

Authors get paid when people like you upvote their post.
If you enjoyed what you read here, create your account today and start earning FREE STEEM!
Sort Order:  

Hi! I am a robot. I just upvoted you! I found similar content that readers might be interested in:
http://www.bbc.com/hindi/india/2016/01/160109_vert_tra_india_headhunter_du_pk