one way

in new •  6 years ago 

एक पर निर्भर होने की मनाही होती है हर जगह,धर्म में कृष्ण कृपा पर निर्भर होने की बात कही गयी है पर कृष्ण कृपा के भी अनेको रूप हैं ,यदि हरिनाम को कृष्ण का परम स्वरूप मान लें जिस पर हमारे मन को निर्भर होना चाहिए आनंद के लिए तो एक प्रभुनाम को चुनने भर का अर्थ होगा संग में हरिकथा ,तप, व्रत, कीर्तन,पूजा पाठ ,यज्ञ इत्यादि को भी चुन लेना क्योंकि कलियुग में प्रभु का नाम लेने वाले को ये सारे प्रभाव प्राप्त होते हैं जबकि वो कोशिश करता है सिर्फ हरिनाम लेने की यानी धर्म अगर एक हरिनाम को अपनाने को कहता है तो भी वो अनेकानेक रूपों में प्रभु श्री कृष्ण को अपनाने की ही बात कह रहा होता हैstreet-381227_1920.jpg ......गुरुओं का इशारा इस बात की ओर है कि जीवन में सफलता पाने का सूत्र है कि 'एक 'पर निर्भरता का खंडन कर दिया जाए और संत ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि ऐसा मानते भी हैं, हरिनाम मार्ग पर चलने के लिए इसकी कई पगडंडियों का सहारा लेते हैं जैसे योग,चिंतन,कीर्तन,भजन,मनन ,उपवास,नियम, धारणा इत्यादि और कमाल की बात तो ये है कि हम लोग पैसे को पाने की कोशिशों को करने के संबंध में हमेशा याद रखते हैं कि'जितने options उतना फायदा'पर शरीर के स्वास्थ और मन की शांति की जहाँ तक बात करूं तो मामला चिंताजनक है क्योंकि ये सोच अधूरी होने की वजह से गलत है कि 'बीमार होने पर केवल डॉक्टर की दवाई खाकर ठीक हुआ जा सकता है' ,for the example गरीबी को बीमारी मान कर चले तो इसका भी उपचार होगी दो प्रकार की मेहनत(१)माइंड set(२)take effort.......

Authors get paid when people like you upvote their post.
If you enjoyed what you read here, create your account today and start earning FREE STEEM!