नमस्कार दोस्तों एक बार फिर आपके सामने हाजिर हूं एक बहुत ही अच्छी खबर के साथ और खबर यह है हमारे भारत में जो पिछड़ी जाति के लोग हैं जिसे हम दलित कहते हैं और आपको भी पता होगा कि कुछ महीनों में दलितों के बारे में हमारे भारत में क्या हुआ कैसे कैसे हादसे हुए उनके साथ क्या-क्या किया गया ।
मैं उस तरफ ना जाते हुए सिर्फ इतना आपको इशारे में बताना चाहता हूं कि भारत सरकार की एक अच्छी कोशिश है के दलित शब्द को ही इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगाने का पूरा प्रावधान रेडी कर लिया है और अब किसी भी सरकारी डिपार्टमेंट में यह किसी और सेक्टर में किसी को भी आप दलित कहकर पुकार ।
नहीं सकते या किसी के ऊपर तंज नहीं कर सकते और दलित शब्द नहीं इस्तेमाल कर सकते हैं फिलहाल तो यही जानकारी मिली है कि भारत सरकार इसको धीरे-धीरे आगे लेकर जा रही है और हो सकता है इसके ऊपर भी कुछ कानून बन सकता है मगर कानून के बारे में ऐसी कोई सूचना हमारे पास नहीं है बस इतना पता है कि अब आप किसी को दलित कहकर ना पुकारे अब यह कैंपेन भारत सरकार चलाएगी और ।
मैं भी बहुत खुश हूं इससे यह फायदा होगा कि जिन लोगों को दलित कहकर सताया जाता है परेशान किया जाता है इसके ऊपर काफी हद तक रोक लग सकती है जिस तरह के पहले जमाने में हरिजन कहकर पुकारा जाता था मगर 1982 में इसके ऊपर एक कानून ही बन चुका था और इसके ऊपर सजा का भी प्रावधान था के आप किसी को हरिजन कहकर नहीं पुकार सकते मगर अभी हमें यह नहीं पता कि अगर ।
मंत्रालय ने प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में स्पष्ट किया है कि दलित शब्द का उल्लेख संविधान में कहीं नहीं मिलता है। हालांकि इससे पहले 1990 में इसी तरह का आदेश जारी हुआ था, जिसमें सरकारी दस्तावेजों में अनुसूचित जाति के लोगों के लिए सिर्फ उनकी जाति लिखने के निर्देश दिए गए थे।
कोई किसी को दलित कहेगा तो उसके ऊपर कोई सजा का प्रावधान है या नहीं इस बात की पुष्टि फिलहाल नहीं की गई मगर दलित कहकर किसी को पुकारने से रोक लगा दी गई है और हम चाहेंगे कि यह चीज हमारे भारत में भारत सरकार इस को अमल में लाएं ताकि दलितों के साथ जो अत्याचार हो रहा है उसमें काफी हद तक कमी देखने मिल सकती है और मैं भी इस कोशिश मैं भारत सरकार के साथ हूं।