एक कविता (दिल का दर्द)

in off •  6 years ago 

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*सुनिये भक्‍तों का गीत
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ओ अँधेरे मेरे दोस्त
फिर आया उसका facebook post
दिन भर वो देखता है Zee-Republic News
वहीं से मिलते उसको अपने clues
इस तरह से बनते उसके views
So confused
और विज्ञान है हैरान

दिक्क़त ये है वो नहीं अकेला
Twitter पर उसके tweets का रेला
नोटबंदी से आया काला धन
देश का हो गया जनगणमन
और किराये पर उसने रखे ऐसे trolls
Such dead souls
और विज्ञान है हैरान

रैली में बैठे उसके चार
दिखते हैं उसको दस हज़ार
जिनको लगता है वो है जय श्रीराम
दैवीय चमत्कार का है परिणाम
और अगर आप नहीं मानते उनकी बात
लगी आपकी वाट
और विज्ञान हैरान

‘मित्रों भाइयो बहनो!
सुन लो मेरे ‘मन की बात’
लाया मैं ऐसा रामबाण नुस्खा
हल होगा आपके हरेक दुःख का’
कह-कहकर ले ली कितनों की जान
हे भगवान!
और विज्ञान हैरान

GST क्या है ये बता
उनको कुछ नहीं पता
फिर भी करेंगे इसकी जय-जयकार
देश में मचा रहे हाहाकार
बेरोज़गारी से पैदा होगा स्वरोजगार
कहती सरकार
और विज्ञान हैरान

सिकंदर को ले आये बिहार
नालंदा गया कन्धाहार
Global Warming दरअसल फ़र्ज़ी है
मैं जो बोलूँ मेरी मर्ज़ी है
उसके शब्दों से
बनता नहीं कोई वाक्य
उसकी बातें जाएँ सर के ऊपर से
ऊपर से
और विज्ञान हैरान

लूट पे नहीं अब कोई रोक
हर कोई अब entrepreneur
लो आ गए सबके ‘अच्छे दिन’
बोतल खुली निकला ‘विकास’ का जिन
और जनता नोचे है अपने बाल
जय मालामाल
और विज्ञान है हैरान

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This is a sad poetry

Plz up vote my posts .Thank you in advance .plz

Nice poetry