मानव जीवन।
प्रायः दुर्लभ कहलाता है।
लेकिन सतकर्मों को करके,
वह फिर मानव बन जाता है।
सच्चा मानव है वही यहाँ,
जो सद्गुरू को अपनाता है।
परमार्थ सदा करता रहता,
ईश्वर से उसका नाता है।
Friends I am composing this poem so stay tuned for the final part.