Ek Gazal

in poetry •  7 years ago 

ताज़ा ग़ज़ल............. WRITTEN BY MY LOVING BROTHER

वो मुझसे हमेशा को जुदा हो नहीं सकता ।
ये मेरी मुहब्बत का सिला हो नहीं सकता ।

गुज़रे मेरे नज़दीक से मुड़कर भी न देखे ,
इतना वो कभी मुझसे ख़फ़ा हो नहीं सकता ।

जो झोंक दे इन्सान को नफ़रत के कुएं में ,
ये तय है के वो मेरा ख़ुदा हो नहीं सकता ।

पत्थर कोई भी राह में कितना ही बड़ा हो ,
इन्सान की हिम्मत से बड़ा हो नहीं सकता ।

जिस शख़्स ने मेहनत से ही पाई हो बुलन्दी ,
उसको कभी दौलत का नशा हो नहीं सकता ।

माँ-बाप जो औलाद को देते हैं दुआऐं ,
ये कर्ज़ वो है जो के अदा हो नहीं सकता ।

'नादान' जो ग़ैरों के रहेगा तू क़रम पे ,
ऐसे तो कभी तेरा भला हो नहीं सकता ।

राकेश 'नादान'

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