Ek Gazal

in poetry •  7 years ago 

Dedicated to my loving brother.....................

ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया !
जाने क्यूँ आज तेरे नाम पे रोना आया !!

यूँ तो हर शाम उमीदों में गुज़र जाती है !
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया !!

कभी तक़दीर का मातम कभी दुनिया का गिला !
मंज़िल-ए-इश्क़ में हर गाम पे रोना आया !!

मुझ पे ही ख़त्म हुआ सिलसिला-ए-नौहागरी !
इस क़दर गर्दिश-ए-अय्याम पे रोना आया !!

जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील' !
मुझ को अपने ही दिल-ए-नाकाम पे रोना आया !!

Bhai Shab.jpg

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