सम्मा मुकरर कर देगी,
उजालो के फरमानों को .....
बस अभी आजाद कर दे ,
सपनो के फ़नकारो को ......
जिंदगी-ए-तजुर्बा
लेने दे अफ्सानो को ...
तेरे दर्द भी बाटें जायेंगे
ना बांट इसे अनजानो को ....
तू हर सूरत मे इजफित है
तेरे नाम मे खुद की फिदरत है
पहचान तेरे अन्दर तू क्या ?
तू खुद में खुद की पूरक है ..........
तू खुद में खुद की पूरक है ...........
I think this poem is dedicated to those person who want to big success.
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Amazing poem kepit up bro
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