My fifth poetry.मैं धूप हूँ .

in poetry •  6 years ago 

Hello friends I sandeep kumar, this is our fifth poem It is in hindi,
मैं धूप हूँ मैं धूप हूँ धूप धूप मैं धूप हूँ ,

सबके कपडे़ मैं सुखाऊँ चेहरे पे सबके चमक मैं लाऊँ ।

हड्डी को मजबूत करूँ रोगों को मैं दूर करूँ ,

मैं धूप हूँ मैं धूप हूँ धूप करुं मैं धूप हूँ ,

धूप चिकित्सा को वैद्यों ने प्राकृतिक चिकित्सा है कहलाई ।

सरकार ने भी अब तो देखो धूप परियोजना है लाई ,

कहें सन्दीप धूप के गुण का कितना मैं बखान करुं ,

मैं धूप हूँ मैं धूप हूँ धूप करुं मैं धूप हूँ ।।
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Thanks friends.

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  ·  6 years ago (edited)

मैं पहली बार आपकी पोस्ट देख रहा हूं.... वाकई आपके सारे पोस्ट बहुत अच्छे हैं 👍👍👍👍

Thank you so much bro.

Bahut achi kavita h. Mene pura padha h. Phir jakar comment kiya h.. And aapko follow bhi kar liya h

Thank you so much bro.
Aapne follow nahi kiya balki hame kavita likhne ka sahash diya hai ,thank you so much,

Very Beautiful poem and good work,

Very good picture you clicked and nice poem you created

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Thank you so much bro.
Aap kaha hko jate hai mai aapka intjar kar rha tha,