दोहे -
त्याग निराशा धारिए, जीवन में नव जोश ।
बस इतना ध्यातव्य है,कभी न खोना होश।।1
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ऋतु बसंत में प्यार की,ऐसी चली बयार।
पड़े सुनाई हर समय, पायल की झंकार।।2
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मोबाइल उपयोग की,ऐसी चली बयार।
बच्चे बूढ़े क्या युवा, हुए सभी बेकार।।3
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जब तक तन चेतन रहा, ढूँढे दोष हजार।
अब मिट्टी से लिपट कर,लोग दिखाते प्यार।।4
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Jai Shree Mahakal
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