आज कल मोसम गर्मी का है गर्मी पर कुछ दोहे :-
सूरज लाठी भाँजता घायल हुआ जहान ।
बिना सर्च वारंट के लपट करे हैरान ।।
गली मोहल्ले मौन हैं सूरज का आतंक ।
गर्मी ऐसी चुभ रही ज्यों बिच्छू के डंक ।।
धमकाता सूरज फिरे दे मूछों पर ताव ।
गर्मी का सागर बहे चले लपट की नाव ।।
सूरज की दादागिरी शहर गाँव सब मौन ।
ऊपर तक उसकी पहुँच रपट लिखेगा कौन ।।