चल उसी गाँव में चलते है......
बड़ा भोला, बड़ा सादा, बड़ा सच्चा है,
तेरे शहर से तो मेरा गाँव बड़ा अच्छा है ॥
वहां मैं मेरे बाप के नाम से जाना जाता हूँ ।
यहाँ मकान नंबर से पहचाना जाता हूँ ॥
वहां फटे कपड़ो में भी तन को ढापा जाता है ।
यहाँ खुले बदन पे टैटू छापा जाता है ॥
यहाँ कोठी है बंगले है और कार है ।
वहां परिवार है और संस्कार है ॥
यहाँ चीखो की आवाजे दीवारों से टकराती है ।
वहां दुसरो की सिसकिया भी सुनाई दे जाती है॥
यहाँ शोर शराबे में मैं कही खो जाता हूँ ।
वहां टूटी खटिया पर भी आराम से सो जाता हूँ ॥
यहाँ रात को बहार निकलने में दहशत है...
वहाँ हर जिन्दगी मेँ बड़ी फुरसत हैँ॥
मत समझो कम हमें की हम गाँव से आये है ।
तेरे शहर के बाज़ार मेरे गाँव ने ही सजाये है ॥
वहाँ इज्जत में सर सूरज की तरह ढलते है ।
चल आज हम उसी गाँव में चलते है.....
चल उसी गाँव में चलते है...... !