बचपन की कहानियां...

in prameshtyagi •  7 years ago 

हठ कर बैठा चांद एक दिन माता से यह बोला
सिलवा दो मां मुझे ऊनका मोटा एक झिंगोला
सन सन चलती हवा रात भर जाडै से मैं मरता हूं
ठिठुर ठिठुर किसी तरह मैं यात्रा पूरी करता हूं
आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का
नए हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का image

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