भारत को आखिर बॉलीवुड ने दिया क्या है ?
निवेदन एक बार जरूर पढे बॉलीवुड ने भारत को इतना सब कुछ दिया है, तभी तो आज देश यहाँ है ...
- बलात्कार गैंग रेप करने के तरीके।
- विवाह किये बिना लड़का लड़की का शारीरिक सम्बन्ध बनाना।
- विवाह के दौरान लड़की को मंडप से भगाना
- चोरी डकैती करने के तरीके।
- भारतीय संस्कारो का उपहास उडाना।
- लड़कियो को छोटे कपडे पहने की सीख देना....जिसे फैशन का नाम देना।
- दारू सिगरेट चरस गांजा कैसे पिया और लाया जाये।
- गुंडागर्दी कर के हफ्ता वसूली करना।
- भगवान का मजाक बनाना और अपमानित करना।
- पूजा पाठ यज्ञ करना पाखण्ड है व नमाज पढ़ना ईश्वर की सच्ची पूजा है।
- भारतीयों को अंग्रेज बनाना।
- भारतीय संस्कृति को मूर्खता पूर्ण बताना और पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठ बताना।
- माँ बाप को वृध्दाश्रम छोड़ के
- नशा करना दुःख में
- रोटी हरी सब्ज़ी खाना गलत बल्कि रेस्टोरेंट में पिज़्ज़ा बर्गर कोल्ड ड्रिंक और नॉन वेज खाना श्रेष्ठ है।
- पंडितों को जोकर के रूप में दिखाना, चोटीरखना या यज्ञोपवीत पहनना मूर्खता है मगर बालो के अजीबो गरीब स्टाइल (गजनी) रखना व क्रॉस पहनना श्रेष्ठ है उससे आप सभ्य लगते है।
हमारे देश की युवा पीढ़ी बॉलीवुड को और उसके अभिनेता और अभिनेत्रियों का अपना आदर्श मानती है,
अगर यही बॉलीवुड देश की संस्कृति सभ्यता दिखाए ..तो सत्य मानिये हमारी युवा पीढ़ी अपने रास्ते से कभी नही भटकेगी...
समझिये ..जानिए और आगे बढिए...
ये संदेश उन हिन्दू छोकरों के लिए है जो फिल्म देखने के बाद गले में क्रोस मुल्ले जैसी छोटी सी दाड़ी रख कर खुद को मॉडर्न समझते हैं हिन्दू नौजवानौं के रगो में धीमा जहर भरा जा रहा है फिल्म जेहाद
सलीम - जावेद की जोड़ी की लिखी हुई फिल्मो को देखे, तो उसमे आपको अक्सर बहुत ही चालाकी से हिन्दू धर्म का मजाक तथा मुस्लिम / इसाई / साईं बाबा को महान दिखाया जाता मिलेगा. इनकी लगभग हर फिल्म में एक महान मुस्लिम चरित्र अवश्य होता है और हिन्दू मंदिर का मजाक तथा संत के रूप में पाखंडी ठग देखने को मिलते है.
"हरे रामा हरे कृष्णा"
में जीनत अमान रुद्राक्ष की माला पहनकर गाँजा फूंकती दिखाई देती हैं, जोकि महिलाओं को नशे के लिए प्रेरित नहीं करती तो और क्या है?
"शोले"
में धर्मेन्द्र भगवान् शिव की आड़ लेकर "हेमा मालिनी" को प्रेमजाल में फंसाना चाहता है जो यह साबित करता है कि - मंदिर में लोग लडकियां छेड़ने जाते है. इसी फिल्म में ए. के. हंगल इतना पक्का नमाजी है कि - बेटे की लाश को छोड़कर, यह कहकर नमाज पढने चल देता है.कि- उसे और बेटे क्यों नहीं दिए कुर्बान होने के लिए.
"दीवार"
का अमिताभ बच्चन नास्तिक है और वो भगवान् का प्रसाद तक नहीं खाना चाहता है, लेकिन 786 लिखे हुए बिल्ले को हमेशा अपनी जेब में रखता है और वो बिल्ला भी बार बार अमिताभ बच्चन की जान बचाता है.
"जंजीर"
में भी अमिताभ नास्तिक है और जया भगवान से नाराज होकर गाना गाती है लेकिन शेरखान एक सच्चा इंसान है.
"शान"
में अमिताभ बच्चन और शशिकपूर साधू के वेश में जनता को ठगते है लेकिन इसी फिल्म में "अब्दुल" जैसा सच्चा इंसान है जो सच्चाई के लिए जान दे देता है
"क्रान्ति"
में माता का भजन करने वाला राजा (प्रदीप कुमार) गद्दार है और करीमखान (शत्रुघ्न सिन्हा) एक महान देशभक्त, जो देश के लिए अपनी जान दे देता है.
अमर-अकबर-अन्थोनी में तीनो बच्चो का बाप किशनलाल एक खूनी स्मग्लर है लेकिन उनके बच्चों अकबर और अन्थोनी को पालने वाले मुस्लिम और ईसाई महान इंसान है
फिल्म "हाथ की सफाई" में चोरी - ठगी को महिमामंडित करने वाली प्रार्थना भी आपको याद ही होगी.
कुल मिलाकर आपको इनकी फिल्म में हिन्दू नास्तिक मिलेगा या धर्म का उपहास करता हुआ कोई कारनामा दिखेगा और इसके साथ साथ आपको शेरखान पठान, DSP डिसूजा, अब्दुल, पादरी, माइकल, डेबिड, आदि जैसे आदर्श चरित्र देखने को मिलेंगे.....
हो सकता है आपने पहले कभी इस पर ध्यान न दिया हो लेकिन अबकी बार ज़रा ध्यान से देखना....
केवल सलीम / जावेद की ही नहीं बल्कि, कैफ़ी आजमी, महेश भट्ट, आदि की फिल्मो का भी यही हाल है....
फिल्म इंडस्ट्री पर दाउद जैसों का नियंत्रण रहा है. इसमें अक्सर अपराधियों का महिमामंडन किया जाता है और पंडित को धूर्त, ठाकुर को जालिम, बनिए को सूदखोर, सरदार को मूर्ख कामेडियन, आदि ही दिखाया जाता है.
"फरहान अख्तर" की फिल्म "भाग मिल्खा भाग" में "हवन करेंगे" का आखिर क्या मतलब था ?
"PK" में भगवान् का रोंग नंबर बताने वाले आमिर खान क्या कभी अल्ला के रोंग नंबर 786 पर भी कोई फिल्म बनायेंगे ।
मेरा मानना है कि - यह सब महज इत्तेफाक नहीं है बल्कि सोची समझी साजिश है एक चाल है ।
यदि सहमत हों तो सर्वत्र फैलायें।
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