शिव पुराण से

in shiv •  2 years ago 

IMG_20230212_095318.jpg

एक साधु था एक दिन वह श्मशान में बैठे कर चिंता में रोटी सेंक रहा था। शिव पार्वती उधर से गुजरे। पार्वती जी ने उस साधु को देखा तो उसकी दशा देखकर दुखित होकर शंकर जी से कहा, इस विचारे को संभवतः चुल्हे की आग भी नसीब नहीं है। आप इस साधु की दरिद्रता दूर कर दीजिए।
पार्वती जी के आग्रह पर शंकर जी एक गरीब भिखारी का रूप धरकर उसके पास पहुंच गए उससे रोटी मांगी साधु ने कहा मेरे पास चार रोटी है दो तु ले जा दो से मैं अपनी क्षुधा मिटा लूंगा। शंकर जी खुश होकर अपने रूप में आ गए बोले तुमने भूखे को रोटीयां दी हैं मैं तुमसे खुश हूं तुम मुझसे वर मांगो। साधु अभिमान में चूर हो कर बोला अरे भिखमंगे भगवान होने का स्वांग मत रच तुने मुझसे रोटी मांगी मैंने दे दी। आया था मांगने अब चला है वर देने। मुझे अपनी भूख मिटा लेने दें। पार्वती जी वृक्ष की ओट से सब छिपकर सब देख रही थी। शंकर जी लौटे तो वह बोली अभिमान के कारण इसके आंख पर परदा पड़ा है आपको आपको पहचान नहीं पाया वास्तव में दया का पात्र ऐसा ही व्यक्ति होता है। चूंकि साधू ने शंकर जी को भोजन परोसा था, इससे खुश होकर उन्होंने शिवलोक भेज दिया।
(शिव पुराण से)

Authors get paid when people like you upvote their post.
If you enjoyed what you read here, create your account today and start earning FREE STEEM!