Web 3.0 अभी तक का सबसे एडवांस्ड इंटरनेट होगा, जिससे आप कोई काम कर भी सकेंगे और उसमें हिस्सेदार भी बन सकेंगे.
मौजूदा समय में हमारे ज्यादातर काम इंटरनेट (Internet) से ही होते हैं. इंटरनेट अब सिर्फ साधारण इंटरनेट नहीं रहा, ये काफी हाई टेक (High tech) हो चुका है. लेकिन, अगर सब कुछ सही रहा तो जल्द ही एक ऐसा समय भी आ जाएगा, जब आप इंटरनेट के एक ऐसे स्वरूप को एक्सपीरियंस करेंगे, जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. जी हां, हम बात कर रहे हैं ‘वेब 3.0’ (Web 3.0) की. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आपने इससे पहले न तो Web 3.0 के बारे में कभी पढ़ा होगा और न ही पहले कभी सुना होगा. लेकिन, सच्चाई तो ये है कि इंटरनेट की इस दुनिया में Web 3.0 इस वक्त काफी सुर्खियां बटोर रहा है. Web 3.0 के बारे में ज्यादा जानने से पहले आपको ये जानना बहुत जरूरी है कि अभी हम जिस के इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह Web 2.0 है और इससे पहले ये पूरी दुनिया Web 1.0 से चल रही थी.
कब आया था Web 1.0
बता दें कि साल 1989 में Web 1.0 आया था. दुनिया में Web 1.0 आने के करीब 15 साल बाद यानी साल 2004 में Web 2.0 भी आ गया था. यहां आपको ये जानना भी बहुत जरूरी है कि Web 2.0 आने के बाद भी Web 1.0 का इस्तेमाल होता है, हालांकि अब इसका इस्तेमाल बहुत कम हो गया है.
क्या Web 3.0 आने के बाद बंद हो जाएगा Web 1.0 और 2.0
क्रिप्टो एक्सपर्ट अजीत खुराना ने ईटी नाओ स्वदेश के साथ बातचीत करते हुए बताया कि Web 3.0 अभी तक का सबसे एडवांस्ड इंटरनेट होगा, जिससे आप कोई काम कर भी सकेंगे और उसमें हिस्सेदार भी बन सकेंगे. उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स वेबसाइट, नेट बैंकिंग, सोशल मीडिया जैसे तमाम प्लेटफॉर्म Web 2.0 के उदाहरण हैं. अजीत खुराना ने कहा कि Web 3.0 के आने के बाद भी Web 1.0 और Web 2.0 का इस्तेमाल होता रहेगा. लेकिन, जब Web 3.0 आएगा, तो ये अभी तक का सबसे एडवांस्ड इंटरनेट बनकर सामने आएगा.
Web 3.0 आने के बाद आपका जीवन कितना और कैसे बदल जाएगा
साल 1989 में जब Web 1.0 आया था तो उस वक्त हम इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों को सिर्फ पढ़ सकते थे. दरअसल, उस समय इंटरनेट पर उपलब्ध सारा डेटा टेक्स्ट फॉर्म में था. लेकिन, जब Web 2.0 आया तो इसने पुराने इंटरनेट की तुलना में नए इंटरनेट को पूरी तरह से बदलकर रख दिया. Web 2.0 के जरिए अब हम पढ़ने के साथ-साथ सुन और देख भी सकते हैं. इसके साथ ही हमारे ज्यादातर जरूरी काम भी इंटरनेट से ही पूरे हो जाते हैं. इतना ही नहीं, Web 2.0 के जरिए ही हमें गूगल, फेसबुक, ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स मिले.
Web 2.0 में अगर आप गूगल, फेसबुक, ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स पर अपना कोई कंटेंट डालते हैं तो उस कंटेंट पर आपका पूरा अधिकार नहीं होता, आपके कंटेंट पर उस प्लेटफॉर्म का ही पूरा अधिकार होता है, जिस पर उसे अपलोड किया गया है. मान लीजिए आपने फेसबुक पर कोई फोटो पोस्ट की है, लेकिन उस फोटो पर आपका पूरा नियंत्रण नहीं है. क्योंकि फेसबुक का मन हुआ तो आपकी फोटो को आपके अकाउंट से ही हटा सकता है. लेकिन, Web 3.0 में ऐसा नहीं हो पाएगा. आपके कंटेंट पर पूरा अधिकार आपका ही होगा. यानी, Web 3.0 आने के बाद आप अभी के मुकाबले ज्यादा पावरफुल हो जाएंगे. जानकारों का मानना है कि Web 3.0 का कॉन्सेप्ट ही ऐसे प्लेटफॉर्म्स के एकाधिकार या मनमानी ताकतों को खत्म करना है.
Web 3.0 के बारे में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि ये ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा, जहां सारा डेटा डिसेंट्रलाइज्ड होगा. दरअसल, ब्लॉकचेन एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें आपका कंटेंट या डेटा किसी कंपनी के डेटाबेस में नहीं बल्कि आपके डिवाइस में सेव होगा. इसका मतलब ये हुआ कि आपके डेटा के साथ कोई भी दूसरा व्यक्ति किसी तरह की कोई छेड़खानी नहीं कर पाएगा. अब बेशक वह गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियां ही क्यों न हों?
Source:- TV9India
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