एक दिन की बात है
एक बकरी नदी के किनारे घास खा रही थी
नदी के उस पार के घास तो बहुत अच्छी दिख रही है मुझे वहाँ जाकर उसे चकना चाहिए
वो सोच रहा था की उस पर कैसे जाये? तभी उसकी नजर लकड़ी के एक पर पड़ी जो नदी पर बिछी हुई थी
मैं इसके सारे नदी पार कर सकता हूँ
वो लटकी और बढ़ने लगा लट पर पैर रखने पर उसने देखा उसकी दूसरी छोर पर एक बकरी पहले से ही खड़ी है
पहले मुझे जाने दो दूसरी बकरी ने कहा
प्रकार के आओ पहले तो मैं जाऊंगा नहीं नहीं लकड़ी पर पहले मैं चढ़ा तो पहले मैं जाऊंगा
दूसरी बकरी ने कहा पहली बकरी सोचने लगी उसे अपने दादाजी की कही एक कहानी याद आ गई दो घमंडी बकरियां एक पुल पार करना चाहती थी मगर एक दूसरे के लिए जगह नहीं बनाना चाहती थी और आखिरकार लड़ने लग गई फिर दोनों पुल से नीचे गिर गई और पानी में डूब गई इसलिए पहली बकरी ने अकलमंदी दिखाई
दास ये लड़ने का वक्त नहीं है, दिमाग से काम लेते हैं, मैं यहाँ झक जाता हूँ और तुम मेरे ऊपर से छलांग लगाकर उस पार चले जाना
ये कहकर पहली बकरी उस लट पर झुक गई, दूसरी बकरी उसके ऊपर से कूद कर दूसरे पार निकल गई
शुक्रिया ऐक्टर्स ने अकल मंडी से काम लिया
दूसरी बकरी ये कहकर चली गई कोई भी काम करने से पहले एक बार सोच लें