हंसना एवं मुस्कुराना हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है! हमारे शास्त्र कहते हैं कि जब व्यक्ति हंसता - मुस्कराता है तो वह ईश्वर की आराधना कर रहा होता है और जब वह दूसरों को हंसाता है तो तब ईश्वर उसकी आराधना करते हैं!
आधुनिक विज्ञान भी यह मानता है कि हंसने से सभी तरह की बीमारियों में लाभ होता है! हंसने का सर्वाधिक उपयोग नवजात शिशु करते हैं! एक - दो साल के बच्चे सोते हुए भी मुस्कुराते रहते हैं, छोटे बच्चों की सुंदरता का यही राज है!
सवाल यह है कि जन्म से प्राप्त हंसी क्यों लुप्त हो जाती है! इसके पीछे कारण हमारा भौतिकता व आसपास के परिवेश में लिप्त हो जाना है! हम अपने आप को नकारात्मक जीवन शैली से बाहर निकालें!
भगवान श्रीराम जी को अयोध्या की गद्दी की जगह वनवास मिल गया फिर भी वह विचलित नहीं हुए!
प्राय :चित्रों में भगवान को मुस्कराते हुए चित्रित किया गया है!
इसका आशय यह है कि जहाँ मुस्कराहट है वहाँ भगवान हैं! यदि हम तनाव में हैं तो यह समझ लें हमारे पास से भगवान हट गए हैं और दैत्य आ गए हैं! इसलिए सुख हो या दुख अगर हम दोनों स्थितियों को प्रभु प्रसाद मानकर ग्रहण करते हैं तो हमारी वास्तविक हंसी कभी पीछे नहीं छूटेगी! "सुप्रभात जी"