(चित्र - गुगल से)
हमारे देश लगातार बढ़ रहे विवाह विच्छेद ( तलाक ) का मूल कारण हमारा संविधान है संविधान में दिए गए इस कानून का समाज ने जमकर उपयोग किया चाहे लड़के वाले हों या लड़की वाले लड़का हो या लड़की अब तो अधिकतर यह सोंच बनाकर ही शादी कर रहे हैं चलो तलाक होने पर एलुमनी के रुप में मोटी रकम मिल जाएगी सारी जिंदगी ऐस करेगें और फ्री रहकर कोई जिम्मेदारी नहीं उठानी पड़ेगी सास ससुर परिवार सब भाड़ में जाएं कैसे भी पैसा जुगाड़ कर देंगे।
वहीं लड़के भी पैसे वाला हुआ तो पैसा फेका और जिम्मेदारी से फ्री एक जिंदगी बरबाद होती है तो उसे क्या ?
रही सही कोर कसर लिविंग ने पूरी कर दी अधिक उम्र तक लड़के और लड़की अविवाहित रहकर वैवाहिक जीवन जी रहे हैं शादी की उम्र को कोई समय सीमा नहीं रखी बुढ़िया औरत और बुढ्ढे वृद्धाश्रम में जाने की उम्र में शादी के मंडप मे बैठकर शर्म के जगह गर्व महसूस करते हैं।
पहले लडकियां शिक्षित इसलिए की जाती थी कभी किसी विपरीत परिस्थिति में शिक्षा काम आ जाए बच्चों को शिक्षित कर लेगी अब तो पहले ही लडकीयों के दिमाग में यह फीड करके चलते हैं नहीं पटती तो कया हुआ अपने पैर पर खड़ी है कमा खा लेगी परिणाम यह होता है हल्की सी नोंकझोंक में समायोजन बैठाना तो दूर अटैची पैक कर चलने की तैयारी कर लेती है और धौंस अलग से देंगी तुम्हारे परिवार को सहन करना संग रहना मेरे लिए पोसिबल ही नहीं मेरे साथ रहना है तो परिवार छोड़ दो उसके बाद भी उनकी शिक्षा काम नहीं आती बच्चे टयूशन टीचर से पढेंगे कयोंकि उनको मोबाइल टीवी सीरियल देखना जरूरी है।
लडकियों और लडकों को शास्त्र का ज्ञान जरूर दें संविधान में उनके अधिकार बताने से ज्यादा पारिवारिक कर्तव्य और दायित्व की जानकारी ढंग से दे जिससे बहुत से परिवार बेवजह टूटने से बचेंगे।
लौट आओ भारतीय संस्कृति की ओर हमारा पुराना भारत अच्छा था सच्चा था।
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